Vastu Tips: घर, दुकान या मंदिर बनवाते समय रखें इन दिशाओं का विशेष ध्यान

किसी भी प्रकार के घर, दुकान, भवन या मंदिर का निर्माण करते समय वास्तु नियमों के अनुसार दिशाओं का विशेष ध्यान रखना चाहिए। भगवान विश्वकर्मा को वास्तु का जनक माना जाता है। वास्तु शास्त्र में चार प्रमुख दिशाएं और उनके चार कोणों का विस्तार से वर्णन किया गया है। किसी भी प्रकार का निर्माण करते समय इन दिशाओं और कोणों का विशेष ध्यान रखा जाता है। वास्तु शास्त्र में आकाश और पाताल को भी दिशाओं में गिना जाता है। इस प्रकार कुल 10 दिशाएं मानी गई हैं। आइये जानते हैं वास्तु शास्त्र के अनुसार दिशाओं को ध्यान में रखकर निर्माण करने से क्या लाभ होता है।

उत्तर दिशा

उत्तर एक शुभ दिशा मानी जाती है। उत्तर दिशा का संबंध भगवान शिव से जोड़कर देखा जाता है। यह दिशा कुबेर की दिशा होती है। कहा जाता है कि धन संबंधी सभी कार्य इस दिशा में करना चाहिए। जैसे घर या दुकान की तिजोरी उत्तर दिशा में रखने से धन लाभ होता है।

ईशान कोण

उत्तर-पूर्व दिशा के बीच के कोण को ईशान कोण कहते हैं। रुद्र को इसका स्वामी माना जाता है। इस दिशा में मंदिर निर्माण करना शुभ होता है।

पूर्व दिशा

पूर्व दिशा का संबंध देवताओं के राजा इंद्र से होता है। सूर्योदय के कारण यह दिशा सभी के जीवन में बहुत महत्व रखती है। घर में इस दिशा को खुला और साफ रखना चाहिए। ऐसा करने से घर के सदस्यों में ऊर्जा और घर में सुख-समृद्धि बनी रहती है।

आग्नेय कोण

पूर्व और दक्षिण दिशा के बीच आग्नेय कोण होता है। अग्नि देव को इसका स्वामी माना जाता है। इस के स्वामी अग्निदेव हैं। घर की रसोई घर का निर्माण इसी दिशा में करना चाहिए।

दक्षिण दिशा

वास्तु शास्त्र के अनुसार दक्षिण दिशा के स्वामी यमदेव माने जाते हैं, इसलिए घर के मालिक के रहने के लिए यह दिशा शुभ है। इस दिशा में वास्तु दोष होने से घर के मालिक को धन संपदा का नुकसान होता है।

नैऋत्य कोण

दक्षिण और पश्चिम दिशा के बीच नैऋत्य कोण है। इस कोण का स्वामी राक्षस है। इस दिशा में वास्तु दोष होने से मानसिक अशांति होने के साथ किसी भी प्रकार की अप्रिय दुर्घटना की संभावना होती है।

पश्चिम दिशा

इस दिशा का संबंध वरुणदेव से होता है। पश्चिम दिशा में व्यापार से संबंधित कार्य करने चाहिए। इस दिशा में व्यापार से जुड़े कार्य करने पर लाभ मिलता है।

वायव्य कोण

पश्चिम और उत्तर दिशा के बीच वायव्य कोण है। इस कोण के स्वामी पवन देव हैं। इस दिशा में बेडरूम बनाना बहुत शुभ होते है।

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