heml

उपभोक्ता फोरम का अनूठा फैसला : 19 खरगोशो की हो गई मौत, आखिरकार खरीददार को मिला न्याय

बलौदाबाजार। कहते हैं, न्याय के दरवाज़े हर किसी के लिए खुले होते हैं। चाहे इंसान हो या फिर…खरगोश ! जी हां, बलौदाबाजार जिले में खरगोशों की मौत के एक ऐसे ही मामले ने उपभोक्ता अधिकारों की परिभाषा को ही नई ऊंचाई दे दी। कहानी शुरू होती है विवेक निराला नाम के एक ग्राहक से। जिन्हें विज्ञापन में दिखाए गए सुंदर-सुंदर, बीमा-पट्टा वाले खरगोश बहुत भाए। ‘सभी खरगोश मर जाएँ तो मिलेगा 70% पैसा वापस, इस वादे से प्रभावित होकर उन्होंने 19 खरगोश ख़रीद डाले। सीधा शिओम एग्रो फार्म, ग्राम देवदा (आरंग) से।

एक-एक कर मर गए सभी खरगोश

लेकिन कहानी में मोड़ तब आया, जब कुछ ही समय में सारे खरगोश एक- एक कर मर गए। पोस्टमार्टम रिपोर्ट में निकला – बेचारे खरगोश पहले से ही बीमार थे। विक्रेता को सूचित किया गया, लेकिन वहां से मिला जवाब –no refund. no reply  इस पर क्रेता ने उपभोक्ता फोरम का दरवाजा खटखटाया गया। फिर यहीं से शुरू हुआ न्याय का असली खेल। फोरम की तीन सदस्यीय टीम – अध्यक्ष छमेश्वर लाल पटेल, सदस्य हरजीत सिंह चांवला और श्रीमती शारदा सोनी ने बारीकी से केस की सुनवाई की।सबूत बोले, दस्तावेज़ बोले – और अंत में फैसला भी बोला।

मानसिक पीड़ा का स्वामियाजा भी भरना पड़ेगा

फोरम ने माना कि किक्रेता ने ब्रोशर में जो लिखा, वो निभाया नहीं। सेवा में कमी पाई गई। परिणामस्वरूप आदेश दिया गया कि, विक्रेता को खरगोशों की लागत का 70% यानी र21,350, मानसिक और आर्थिक क्षति र5,000 और वाद व्यय ₹2,000 – कुल ₹28,350 ग्राहक को 45 दिनों के भीतर लौटाने होंगे।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button