दुनिया के सबसे बड़े हीरे उगलता है यह देश, डी बीयर्स ने खोल दिया खजाना, अंडरग्राउंड होगी खुदाई

गबोरोने: अफ्रीकी देश बोत्सवाना और हीरे की दिग्गज कंपनी डी बीयर्स ने मात्रा के हिसाब से दुनिया की सबसे अमीर हीरे की खदान में खुदाई के लिए एक अरब डॉलर के निवेश को मंजूरी दी है। बुधवार को ज्वाइंट वेंटर की ओर से ये जानकारी गई है। देबस्वाना डायमंड कंपनी के बोर्ड ने कहा कि उसने ज्वानेंग खदान के काम को आगे बढ़ा दिया है, जिससे इसे खुले गड्ढे वाली जगह से अंडरग्राउंड ऑपरेशन में बदल दिया जाएगा। यह निर्णय ऐसे समय आया है, जब वैश्विक हीरा बाजार की स्थिति कमजोर चल रही है, 2023 में पॉलिश किए गए हीरों की कीमतों में पांचवीं गिरावट देखी गई, जिससे कच्चे हीरे के दाम भी नीचे गिर गए।

डी बीयर्स और बोत्सवाना सरकार संयुक्त रूप से देबस्वाना डायमंड की मालिक है। कंपनी ने कहा है कि ये निवेश किम्बरलाइट पाइप के नमूने की सुविधा के लिए एक ड्रिलिंग प्लेटफॉर्म स्थापित करने के लिए धन देगा। साथ ही परियोजना से आवश्यक बुनियादी ढांचा विकसित करने में भी मदद मिलेगी। अंडरग्राउंड काम इस साल मई में शुरू होगा और इसे दो और इसे दो चरणों किया जाएगा। डी बीयर्स ने कहा कि इसका उद्देश्य दीर्घकालिक हीरे की आपूर्ति को मजबूत करने के माहौल में खदान में दीर्घकालिक भविष्य के उत्पादन का समर्थन करना है।

खदान में बढ़ रहा है खर्च

ये खदान सरकार और डी बीयर्स के बीच एक 50-50 संयुक्त उद्यम, जो अधिकांश रत्नों की नीलामी करता है। कंपनी ने पिछले साल कहा था कि कीमती रत्नों की मांग में वैश्विक गिरावट के बीच निवेश किया जाएगा, जिससे इसमें 20 साल तक और खुदाई की जा सकेगी और प्रति वर्ष नौ मिलियन कैरेट तक हीरे निकलेंगे। बोत्सवाना अफ्रीका का प्रमुख हीरा उत्पादक है और हीरे के खनन से इसकी जीडीपी का एक तिहाई हिस्सा आता है। पिछले साल सरकार और खनन दिग्गज एंग्लो अमेरिकन, डी बीयर्स एक समझौते पर पहुंचे थे, इसमें देबस्वाना से निकले कच्चे हीरे को बेचने के लिए एक नया 10 साल का समझौता और इसके खनन लाइसेंस के 25 साल के विस्तार का प्रावधान है। दरअसल हाल के सालों में क्षेत्र में हीरा खनिकों को अधिक लागत वहन करते हुए अधिक गहराई तक खुदाई करनी पड़ी है, क्योंकि सतह के करीब रत्न समाप्त हो रहे हैं।

देबस्वाना ने 2018 में कहा था कि उसने खदान के जीवनकाल को 2024 से 11 साल तक बढ़ाने के लिए निवेश की योजना बनाई है। डी बीयर्स ने कहा कि खर्च करना आवश्यक है क्योंकि कच्चे रत्नों की दीर्घकालिक आपूर्ति में कमी आने की उम्मीद है। हीरे की मांग में कमी के बावजूद अंगोला ने पिछले साल अपनी नई ल्यूले परियोजना में खनन शुरू किया, जो देश में सबसे बड़ी और अनुमानित संसाधनों के हिसाब से दुनिया की सबसे बड़ी परियोजनाओं में से एक है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button