बस्ते में होगी सिर्फ 4 विषयों की किताबे : आधा लीटर से अधिक की पानी बोतल अब नहीं

रायपुर। छात्रों को बस्ते के बोझ से राहत दिलाने अब नई व्यवस्था की जा रही है। जिला और ब्लॉक स्तर पर कमेटी का गठन किया गया है जो नर्सरी से आठवीं कक्षा तक के स्कूली बच्चों के बस्तों की जांच करेगी। किसी भी कक्षा के बस्ते में चार से अधिक विषयों की पुस्तक अथवा कॉपियां नहीं होनी चाहिए। निजी स्कूलों को अपने कालखंडों का निर्धारण इस प्रकार करना होगा कि एक दिन में सिर्फ चार विषयों की किताबों का ही अध्ययन किया जाए। इन चार विषयों की किताबों के अलावा अतिरिक्त वर्कबुक अथवा अन्य चीजें बस्ते में नहीं रहेंगी। किसी भी स्थिति में छात्रों के बस्ते का भार 3 से 4 किलो के मध्य ही होना चाहिए।
शासकीय विद्यालय केवल पापुनि की किताबों से ही अध्ययन करवाते हैं, इसलिए अधिक भार की शिकायतें यहां प्राप्त नहीं होती हैं। निजी स्कूलों में जहां बच्चों पर प्रतिवर्ष थोक में किताबें थोपी जाती हैं. वहां बस्ते के अधिक भार की स्थिति सामान्य है। निजी स्कूलों में बस्तों के बोझ को लेकर हर वर्ष शिकायतें प्राप्त होती रहती हैं। बार-बार चेतावनी और दिशा-निर्देश जारी किए जाने के बाद भी निजी स्कूल इस दिशा में विशेष ध्यान नहीं देते हैं। यही नहीं अधिक वजन के कारण होने वाली स्वास्थ्यगत दिक्कतों में भी वृद्धि हुई है। पालकों द्वारा जिला शिक्षा कार्यालय में इसे लेकर कई बार शिकायतें भी पालकों द्वारा की गई हैं।
स्कूल ही उपलब्ध कराएंगे किताबें
यदि निजी स्कूलों को एक दिन में चार से अधिक विषयों का अध्ययन-अध्यापन कराना है तो अतिरिक्त विषयों के लिए किताबों की व्यवस्थाएं उन्हें स्वयं करनी होगी। इसके लिए स्कूल में ही छात्रों की किताबें रखवाई जाएंगी अथवा इसके लिए पृथक पुस्तकों का बंदोस्त विद्यालय प्रबंधन ही छात्रों के लिए करेंगे। निजी स्कूल जांच के दौरान किसी भी तरह की कार्रवाई से बचने के लिए दो तरह की किताबें मंगवाते हैं। इनमें किताबों का एक सेट निजी प्रकाशकों का होता है, जिसकी खरीदी स्कूल प्रबंधन के आदेशानुसार पालकों को प्रतिवर्ष करनी पड़ती है। दूसरा सेट, पाठ्यपुस्तक निगम की किताबों का होता है। पापुनि की किताबें छात्रों को वितरित हुई हैं अथवा नहीं, इसकी जांच समय-समय पर की जाती रही है। इस कारण निजी स्कूल छात्रों से ये किताबें भी मंगवाते हैं। इस कारण बस्ते का बोझ दोगुना हो जाता है।
करेंगे स्वच्छ पानी की व्यवस्था
कई स्कूलों में छात्रों के लिए साफ पानी की व्यवस्था नहीं होती है। ऐसे में पालक बच्चों को 1 से 1.5 लीटर तक की पानी बोतल साथ देते हैं। इससे भी छात्रों के बस्ते का बोझ बढ़ जाता है। स्कूल प्रबंधन को बच्चों के लिए साफ पानी की व्यवस्था करनी होगी। छात्र 500 मिमी की बोतल ही लेकर स्कूल जाएंगे, जिन्हें रीफिल करना स्कूलों की जिम्मेदारी होगी।
बस और स्कूल के बाहर जांच
छात्रों के बस्ते की जांच स्कूलों में नहीं होगी। इसके स्थान पर बस में, स्कूल आने-जाने के रास्ते में अथवा स्कूल गेट के बाहर जांच की जाएगी। ऐसा इसलिए ताकि स्कूल के अंदर जांच होने पर किसी तरह की लीपा-पोती प्रबंधन ना कर सके। जांच टीम में शामिल सदस्यों को वजन मापने की मशीन भी दी जाएगी, जिसकी सहायता से वे बस्तों का भार मापेंगे। जिस किसी निजी स्कूल के छात्रों के बस्ते का भार निर्धारित मानक से अधिक होगा, उन पर अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी।