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नवरात्र का सातवां दिन देवी कालरात्रि को समर्पित, नोट कर लें पूजा विधि, मंत्र और भोग

हिंदू धर्म में नवरात्र का विशेष महत्व है। नवरात्र इस साल 15 अक्टूबर से शुरू हुए हैं। साथ ही इसका समापन 23 अक्टूबर को होगा। नवरात्र के सभी नौ दिनों में मां दुर्गा के नौ अलग-अलग रूपों की पूजा की जाती है। नवरात्र का सातवां दिन माता कालरात्रि को समर्पित होता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, माता कालरात्रि की पूजा से सभी फल प्राप्त होते हैं। तंत्र मंत्र साधक विशेष रूप से मां कालरात्रि की पूजा करते हैं। मां काली की पूजा करने से व्यक्ति भय मुक्त हो जाता है। माना जाता है कि मां काली अपने भक्तों को अकाल मृत्यु से भी बचाती हैं।

मां कालरात्रि पूजा विधि

आप अन्य दिनों की तरह ही नवरात्र की सप्तमी तिथि को भी पूजा कर सकते हैं, लेकिन देवी काली की पूजा के लिए मध्य रात्रि को सबसे उपयुक्त समय माना जाता है। ऐसे में सबसे पहले पूजा स्थल को अच्छी तरह साफ करें और चौकी पर लाल रंग का कपड़ा बिछाकर मां कालरात्रि की मूर्ति या चित्र स्थापित करें। पूजा के दौरान माँ कालरात्रि को रातरानी के फूल चढ़ाएं। गुड़ का भोग लगाएं। इसके बाद कपूर या दीपक से माता की आरती करें। इसके बाद लाल चंदन की माला से मां कालरात्रि के मंत्रों का जाप करें।

इन चीजों का लगाएं भोग

मां कालरात्रि को गुड़ बेहद प्रिय होता है। माना जाता है कि नवरात्र के सातवें दिन मां कालरात्रि को गुड़ का भोग लगाने से वे प्रसन्न होती हैं।

मां कालरात्रि मंत्र

एकवेणी जपाकर्णपूरा नग्ना खरास्थिता।

लम्बोष्ठी कर्णिकाकर्णी तैलाभ्यक्तशरीरिणी॥

वामपादोल्लसल्लोहलताकण्टकभूषणा।

वर्धनमूर्धध्वजा कृष्णा कालरात्रिर्भयंकरी॥

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