पति की बेरोजगारी पर ताने मारने और बार-बार अपमानित करने को हाई कोर्ट ने बताया मानसिक क्रूरता

बिलासपुर : छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने एक अहम पारिवारिक विवाद में बड़ा फैसला सुनाया है. पति की अपील को स्वीकार करते हुए कोर्ट ने 28 वर्ष पुराने विवाह को समाप्त कर दिया. अदालत ने स्पष्ट किया कि पत्नी द्वारा पति को कोविड-19 महामारी के दौरान बेरोजगार कहकर ताने देना और 2020 से बिना कारण अलग रहना मानसिक क्रूरता और स्वेच्छा से त्याग की श्रेणी में आता है.

पति की बेरोजगारी पर ताने मारना मानसिक क्रूरता – हाई कोर्ट

छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने विवाह को समाप्त करते हुए पति की अपील स्वीकार की. पति, जो पेशे से वकील हैं, उन्होंने आरोप लगाया था कि कोविड काल में पत्नी ने उन्हें बेरोजगार कहकर अपमानित किया और बेटी को लेकर 16 सितंबर 2020 को मायके चली गई. जाते समय पत्नी ने पत्र में स्पष्ट लिखा था कि अब वह पति और बेटे से कोई संबंध नहीं रखेगी. हाई कोर्ट ने माना कि यह आचरण मानसिक क्रूरता है. फैमिली कोर्ट दुर्ग ने पहले तलाक की अर्जी खारिज कर दी थी, जिसे पलटते हुए हाई कोर्ट ने तलाक की डिक्री जारी कर दी. अदालत ने कहा कि अब दोनों के बीच पुनर्मिलन की कोई संभावना नहीं है और विवाह पूरी तरह से टूट चुका है.

यह है पूरा मामला

भिलाई निवासी अनिल सोनमनी पेशे से वकील हैं. उन्होंने 1996 में शादी की थी. उनकी 19 साल की एक बेटी और 16 साल का एक बेटा है. पति का आरोप था कि पत्नी ने पीएचडी कर प्राचार्य पद मिलने के बाद व्यवहार बदल लिया और विवाद बढ़ने लगे. कोविड महामारी के दौरान जब अदालतें बंद होने से आय ठप हो गई, तब पत्नी ने उनका साथ देने के बजाय उन्हें बेरोजगार कहकर ताने दिए. 16 सितंबर 2020 को पत्नी बेटी को लेकर मायके चली गई और बेटे को छोड़ दिया. साथ ही एक पत्र भी छोड़ गई, जिसमें साफ लिखा था कि अब वह पति और बेटे से कोई संबंध नहीं रखेगी. पति ने कई बार समझाने की कोशिश की, लेकिन नाकाम रहे. 2022 में उन्होंने तलाक की अर्जी दुर्ग फैमिली कोर्ट में दी, जिसे 25 अक्टूबर 2023 में खारिज कर दिया गया.

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