हाई कोर्ट ने छत्तीसगढ़ नान घोटाला मामले में सीबीआई जांच से किया इनकार, कहा- अब ट्रायल अंतिम चरण में

बिलासपुर : छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने प्रदेश के चर्चित नान घोटाले से संबंधित सीबीआई जांच की मांग वाली सभी जनहित याचिकाओं का निराकरण कर दिया है. 10 अक्टूबर को हाई कोर्ट में इस मामले में सुनवाई हुई. साल 2015 के इस घोटाला मामले में सुनवाई करते हुए अदालत ने कहा कि जब मामला अब अपने अंतिम चरण में पहुंच चुका है, ऐसे में जांच एजेंसी बदलने की कोई आवश्यकता नहीं है.

‘अब ट्रायल अंतिम चरण में’

छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट की विशेष खंडपीठ में मुख्य न्यायाधीश रमेश सिन्हा और न्यायमूर्ति पीपी साहू की पीठ ने इस पूरे मामले की सुनवाई की. अदालत ने सुनवाई करते हुए यह स्पष्ट किया कि जिन व्यक्तियों की भूमिका घोटाले में सामने आई है, लेकिन जिनका नाम एसीबी की चालान में शामिल नहीं किया गया, उनके विरुद्ध विचारण न्यायालय में दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 319 के तहत आवेदन देकर कार्यवाही की जा सकती है.

कोर्ट ने याचिकाओं को किया खारिज

बिलासपुर जिला स्थित छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट में शुक्रवार को नान घोटाले से संबंधित कुल आठ याचिकाओं पर सुनवाई हुई. इनमें से केवल ‘हमर संगवारी’ एनजीओ द्वारा दायर दो जनहित याचिका और अधिवक्ता सुदीप श्रीवास्तव की याचिका के याचिकाकर्ता या अधिवक्ता ही अदालत में उपस्थित थे. अन्य याचिकाओं की ओर से कोई भी पक्षकार या अधिवक्ता उपस्थित नहीं हुआ. इसलिए कोर्ट ने अनुपस्थित पक्षों की याचिकाओं को खारिज कर दिया.

भाजपा नेता धरमलाल कौशिक की ओर से अधिवक्ता गैरी मुखोपाध्याय उपस्थित हुए. उन्होंने अपनी याचिका वापस लेने की अनुमति मांगी, जिसे अदालत ने स्वीकृत कर लिया. राज्य सरकार की ओर से दिल्ली से वीडियो कान्फ्रेंसिंग के माध्यम से अधिवक्ता अतुल झा उपस्थित हुए और अदालत को बताया कि ट्रायल कोर्ट में अब तक 224 में से 170 गवाहों की गवाही पूरी हो चुकी है और मामला अंतिम सुनवाई के चरण में है.

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