नर्स योगमाया साहू उसके पति व दो बच्चो के हत्यारों की सजा बरक़रार, हाईकोर्ट ने खारिज की याचिका

बिलासपुर। छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने महासमुंद जिले के पिथौरा थाना क्षेत्र में नर्स योगमाया साहू, उनके पति चेतन साहू और उनके दो बच्चों तन्मय साहू और कुणाल साहू की हत्या के मामले में पांच आरोपियों की सजा को बरकरार रखा है। हाईकोर्ट ने आरोपियों धर्मेंद्र बऱिहा, सुरेश खूंटे, गौरीशंकर कैवर्त, फूलसिंह यादव और अखंडल प्रधान की अपील खारिज कर दी है। मामले की सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायाधीश रमेश सिन्हा और न्यायमूर्ति रवींद्र कुमार अग्रवाल की पीठ ने कहा कि आरोपियों के खिलाफ मामला पूरी तरह से साबित हो चुका है और ट्रायल कोर्ट द्वारा सुनाई गई सजा उचित है।

मालूम हो कि 31 मई 2018 को पिथौरा के सुब हेल्थ सेंटर किशनपुर में नर्स योगमाया साहू, उनके पति चेतन साहू और उनके दो बच्चों तन्मय साहू और कुणाल साहू की हत्या कर दी गई थी। घटना के बाद पुलिस ने धर्मेंद्र बऱिहा को गिरफ्तार किया था। बाद में नार्को टेस्ट के दौरान धर्मेंद्र ने सुरेश खुंटे, गौरीशंकर कैवर्त, फुलसिंह यादव और अखंडल प्रधान के शामिल होने की बात कबूल की थी। पुलिस ने आरोपियों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 302 (हत्या), 460 (रात में घर में घुसकर हत्या), 396 (डकैती के दौरान हत्या) और 201 (सबूत मिटाना) के तहत मामला दर्ज किया था। ट्रायल कोर्ट ने सभी आरोपियों को उम्रकैद की सजा सुनाई थी।

हाईकोर्ट ने कहा कि मामले में सभी आरोपियों के खिलाफ सबूत पूरे हैं और उनकी गिरफ्तारी के बाद बरामद किए गए सामान और नार्को टेस्ट की रिपोर्ट ने उनके गुनाह को साबित कर दिया है। कोर्ट ने यह भी कहा कि एक आरोपी का कबूलनामा दूसरे आरोपियों के खिलाफ तभी इस्तेमाल किया जा सकता है जब उनके खिलाफ अन्य सबूत भी मौजूद हों। याचिकाकर्ताओं ने इस आधार पर सजा में राहत की मांग की थी कि मुख्य आरोपी के इकबालिया बयान के आधार पर उन्हें दोषी ठहराया गया है। हाईकोर्ट ने ट्रायल कोर्ट के फैसले को सही ठहराते हुए कहा कि आरोपियों ने रात में घर में घुसकर चोरी करने की नीयत से हत्या की थी और इसके बाद सबूत मिटाने की कोशिश की थी।

अपराधी धर्मेंद्र बरिहा, सुरेश खूंटे, गौरीशंकर कैवर्त, फूलसिंह यादव और अखंडल प्रधान को आईपीसी की धारा 302 के तहत उम्रकैद और 1,000 रुपये का जुर्माना, धारा 460 के तहत 10 साल की सख्त कैद और 1,000 रुपये का जुर्माना, धारा 396 के तहत 10 साल की सख्त कैद और 1,000 रुपये का जुर्माना तथा धारा 201 के तहत 5 साल की सख्त कैद और 1,000 रुपये का जुर्माने की सजा सुनाई गई है। सभी सजाएं एक साथ चलेंगी। हाईकोर्ट ने आरोपियों को सुप्रीम कोर्ट में अपील करने का अधिकार भी दिया है।

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