heml

“औरो हिल” कॉलोनी के बिल्डरों के हौसले बुलंद : शासकीय भूमि, आम रास्ता सहित विधवा महिला की निजी भूमि पर भी कब्जे के लगे आरोप

कांग्रेस-भाजपा दोनों के शासनकाल में भू-माफियाओं की दबंगई, प्रशासनिक तंत्र की चुप्पी पर उठे सवाल..

रायगढ़  :  ग्राम अमलीभौना में भू-माफिया और रसूखदार बिल्डरों की दादागिरी थमने का नाम नहीं ले रही है। पैसों की हवस और जमीन की भूख ने इन्हें इस कदर अँधा कर दिया है कि अब बिल्डरों राजेश अग्रवाल और मुकेश अग्रवाल  पर शासकीय भूमि, आम रास्ता, तालाब के साथ साथ एक विधवा महिला की निजी भूमि पर कब्ज़ा करने का आरोप लगा है।

पीड़िता शारदा तिवारी द्वारा कलेक्टर जनदर्शन में दी गई शिकायत में उल्लेख किया गया है कि शारदा तिवारी के परिवार के नाम पर दर्ज 3.45 एकड़ संयुक्त खातेदार की भूमि के कुछ हिस्से को भी जबरन हथियाने का प्रयास किया जा रहा है। यही नहीं ग्राम अमलीभौना स्थित खसरा नंबर 64, रकबा 0.243 हेक्टेयर की शासकीय भूमि, आम रास्ता और तालाब पर बिल्डरों ने अवैध निर्माण प्रारंभ कर दिया है।

पूर्व में राजेन्द्र तिवारी ने की थी जान से मारने की धमकी और जबरन कब्जे की शिकायत…

गौरतलब है कि इससे पूर्व 22 मई 2025 को सोनूमुड़ा निवासी राजेन्द्र तिवारी ने पुलिस अधीक्षक को लिखित शिकायत देकर बताया था कि बिल्डर राजेश अग्रवाल और मुकेश अग्रवाल द्वारा उनके पिता गणेश प्रसाद तिवारी के नाम दर्ज खसरा नंबर 11/1, रकबा 1.15 एकड़ भूमि पर कब्जे की कोशिश की जा रही है। सीमांकन को बार-बार रोका जा रहा है, धमकियाँ दी जा रही हैं, और विरोध करने पर जान से मारने की कोशिश की गई है।

राजेन्द्र तिवारी का आरोप है कि बिल्डरों की राजनीतिक पहुंच इतनी मजबूत है कि तहसील और पुलिस प्रशासन भी उनके दबाव में काम कर रहे हैं। चार वर्षों से सीमांकन की प्रक्रिया अधर में है और अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हो सकी है।

कहां जाए आम नागरिक?

अब जब एक ही बिल्डर पर शासकीय भूमि, आम रास्ता, तालाब और दो अलग-अलग परिवारों की निजी भूमि पर कब्जे का आरोप लग रहा है, तो सवाल उठता है  क्या प्रशासन इनके रसूख के सामने नतमस्तक है?

प्रशासन की चुप्पी..

कलेक्टर जनदर्शन में शिकायत दर्ज होने और पुलिस को लिखित आवेदन देने के बावजूद प्रशासन की ओर से अब तक कोई निर्णायक कार्रवाई नहीं की गई है। पीड़ितों का कहना है कि यदि यही स्थिति रही तो आने वाले समय में इनका देखा देखी और भू-माफिया पैदा होंगे जो खुलेआम ज़मीनों पर कब्जे करते रहेंगे और आम जनता अपनी ही ज़मीन के लिए दर-दर की ठोकरें खाती रहेगी।

कब जागेगा प्रशासन…?

एक ही बिल्डर पर दो अलग-अलग परिवारों की भूमि पर अवैध कब्जे और शासकीय भूमि पर अतिक्रमण के गंभीर आरोप हैं। अब देखना यह है कि क्या पुलिस और राजस्व विभाग इस प्रकरण को गंभीरता से लेते हैं या रसूखदारों के दबाव में आकर फिर एक बार न्याय की उम्मीद को ठेस पहुँचती है। यदि समय रहते सख्त कार्रवाई नहीं हुई तो यह मामला प्रशासनिक निष्क्रियता और भ्रष्टाचार की एक और मिसाल बनकर रह जाएगा।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button