नई दिल्ली : कर्नाटक में मुस्लिमों को चार फीसदी आरक्षण रद्द किए जाने का मामला सुप्रीम कोर्ट में है। सुप्रीम कोर्ट में मंगलवार को इस मामले की सुनवाई टल गई है। अब अगली सुनवाई 25 जुलाई को होगी। फिलहाल, नई नीति के आधार पर नौकरी या दाखिला न देने का अंतरिम आदेश जारी रहेगा। इससे पहले, 25 अप्रैल को सुनवाई 9 मई तक के लिए टाल दी गई थी।
कर्नाटक सरकार का आश्वासन
वही, कर्नाटक की बोम्मई सरकार ने अदालत को फिर से आश्वासन दिया कि सुनवाई की अगली तारीख तक कोई प्रवेश या नियुक्ति नहीं की जाएगी। बता दें कि बोम्मई सरकार ने राज्य में मुस्लिमों को दिया जाने वाला चार फीसदी आरक्षण रद्द कर दिया था। आरक्षण को वोक्कालिगा और लिंगायत में दो-दो प्रतिशत बांटने का एलान किया गया है।
कोर्ट ने माना त्रुटिपूर्ण फैसला
इस मामले में 13 अप्रैल को भी सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई थी। तब सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा था कि मुसलमानों के चार प्रतिशत आरक्षण को खत्म करने का कर्नाटक सरकार का फैसला प्रथम दृष्टया त्रुटिपूर्ण प्रतीत होता है।
याचिकाकर्ता की दलीलें
याचिकाकर्ता के वकील दुष्यंत दवे, कपिल सिब्बल, गोपाल शंकर ने दलीलें दी थीं। दलील में मुसलमानों का ओबीसी आरक्षण खत्म करने के फैसले को गलत बताया गया था। दलील में कहा गया था कि सरकार ने बिना किसी अध्ययन और आंकड़ों के अचानक मुसलमानों का ओबीसी कोटा खत्म कर दिया। ओबीसी आरक्षण की दो नई श्रेणी बनाकर वोक्कालिगा और लिंगायत में बांट दिया, जबकि कई रिपोर्ट में कहा गया है कि मुस्लिम ज्यादा पिछड़े हैं।
30 साल तक मिलता रहा आरक्षण: कपिल सिब्बल
कपिल सिब्बल ने अपनी दलील में कहा था कि 1994 से 2023 तक मुसलमानों को 30 साल तक ओबीसी आरक्षण मिलता रहा। 30 साल तक वे पिछड़े थे और अब अचानक वे जनरल कैटेगरी में आ गए।