नई दिल्ली : केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) को सूचित किया है कि वे एक विशेषज्ञ समिति की नियुक्ति पर विचार कर रहे हैं कि क्या मौत की सजा के लिए फांसी की जगह कम तकलीफदेह तरीके पर अध्ययन के लिए सरकार एक कमिटी बना सकती है। अटॉर्नी जनरल ने सुप्रीम कोर्ट को इस बारे में बताया है।
जुलाई में होगी मामले में सुनवाई
बता दें कि CJI ने मामला जुलाई में सुनवाई को लगाने का निर्देश दिया है। याचिका में कहा गया है कि फांसी एक क्रूर तरीका है और जहर का इंजेक्शन जैसे तरीकों को अपनाया जाना चाहिए। मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति जेबी पर्दीवाला की पीठ ने केंद्र की ओर से पेश अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणी की दलीलों पर ध्यान दिया कि सरकार विशेषज्ञों की एक समिति गठित करने के उनके सुझाव पर विचार कर रही है और इस पर विचार-विमर्श भी चल रहा है। उन्होंने कहा कि प्रस्तावित पैनल के लिए नामों को अंतिम रूप देने से संबंधित प्रक्रियाएं हैं और वह कुछ समय बाद इस मुद्दे पर जवाब दे पाएंगे।
सुप्रीम कोर्ट ने दिया था एक्सपर्ट कमेटी बनाने का संकेत
बता दें कि इसी साल मार्च महीने में मौत की सजा के लिए फांसी की जगह किसी दूसरे विकल्प की मांग वाली जनहित याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई थी। सुप्रीम कोर्ट ने जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए इस मामले में एक एक्सपर्ट कमेटी बनाने का संकेत दिया था। साथ ही कोर्ट ने एनएलयू, एम्स समेत कुछ बड़े अस्पतालों से साइंटिफिक डेटा जुटाने को कहा था।
अटॉर्नी जनरल ने दिया था ये जवाब
वहीं, केन्द्र सरकार की ओर से पेश हुए अटॉर्नी जनरल वेंकटरमणी ने कहा था कि अगर कोई कमेटी बनती है तो हमें कोई आपत्ति नहीं होगी।
क्या है याचिका में?
दरअसल, इस याचिका में फांसी को मौत का सबसे बर्बर तरीका बताया गया है और कहा गया है कि मौत की सजा के लिए फांसी नहीं कोई और तरीका अपनाया जाए। ताकी मौत की सजा ऐसी हो, जिसमें दर्द कम हो और मौत का डर भी न सताए, क्योंकि इससे ज्यादा मौत का डर दुखदायी होता है।