2 अक्टूबर को है संकष्टी चतुर्थी, गणपति की पूजा से दूर होंगी विघ्न-बाधाएं

हिन्दू पंचांग के अनुसार हर महीने दो चतुर्थी आती हैं। एक शुक्ल पक्ष में और एक कृष्ण पक्ष में। शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को विनायक चतुर्थी कहा जाता है और कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को संकष्टी चतुर्थी कहा जाता है। दक्षिण भारत में संकष्टी चतुर्थी को गणेश संकटहरा या संकटहरा चतुर्थी के नाम से भी जाना जाता है।

हिन्दू धर्मग्रंथों के अनुसार, संकष्टी चतुर्थी के दिन पूजा करने से घर की नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है और घर में शांति बनी रहती है। घर की सारी परेशानियां दूर होती हैं। मान्यता है कि इस दिन गणपति की पूजा करने से यश, धन, वैभव और अच्छे स्वास्थ्य की प्राप्ति होती है। आइये जानते हैं इसकी तिथि और मुहूर्त…

संकष्टी चतुर्थी: तिथि एवं शुभ मुहूर्त

संकष्टी चतुर्थी व्रत : सोमवार, 2 अक्टूबर 2023

चतुर्थी तिथि : 2 अक्टूबर, शाम 7:36 बजे से 3 अक्टूबर की सुबह 6:11 बजे तक

चन्द्रोदय समय : 2 अक्टूबर, रात्रि 8:05 बजे

पूजन विधि

संकष्टी चतुर्थी का व्रत नियमानुसार ही संपन्न करना चाहिए, तभी इसका पूरा लाभ मिलता है। नारद पुराण के अनुसार संकष्टी चतुर्थी के मौके पर, पूरे दिन का उपवास रखना चाहिए। इस दिन प्रात:काल स्नान कर व्रत का संकल्प लें। फिर गणेश जी को मोदक, दूब, लड्डू, पुष्प आदि अर्पित करते हुए उनकी विधिवत आराधना करें। शाम को चंद्रोदय के बाद पूजा की जाती है। इस समय गणेश जी के साथ दुर्गा जी की भी फोटो या मूर्ति रखें।

इस दिन दुर्गा जी की पूजा बहुत जरुरी मानी जाती है। सूर्योदय से शुरू होने वाला संकष्टी व्रत चंद्र दर्शन के बाद ही समाप्त होता है। इस दिन चंद्रमा को देखना भी शुभ माना जाता है। चन्द्रमा की पूजा करें और उन्हें जल, फूल, चन्दन, चावल आदि चढ़ाएं। शाम के समय संकष्टी गणेश चतुर्थी व्रत कथा भी सुनना चाहिए। इसके बाद आरती करें और सभी को प्रसाद वितरित करें।

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