सबसे निचले स्तर पर पहुंचा रुपया: डॉलर के मुकाबले इंडियन करेंसी में गिरावट जारी
डॉलर के मुकाबले भारतीय रुपया (Rupee) अपने सबसे निचले स्तर पर पहुंच गया है. शुक्रवार को एक डॉलर (Dollar) की कीमत 85.97 पैसे हो गई. इंडियन करेंसी पर दबाव की सबसे बड़ी वजह डाॅलर की मजबूती है. डाॅलर इंडेक्स 109 से ऊपर बना हुआ है जो 2 साल के हाई लेवल के नजदीक है. घरेलू शेयर मार्केट (Share Market) में गिरावट भी रुपया के कमजोर होने के पीछे की वजह है.
गुरूवार को भी रुपया में गिरावट दर्ज की गई थी. एक डॉलर की कीमत 85.93 पैसे रही. आज लगातार चौथा दिन है जब रुपया अपने पिछले रिकॉर्ड निचले स्तर से नीचे आकर बंद हुआ. साथ ही यह दसवां हफ्ता है, जब रुपये में गिरावट आई है.
जानकारी के अनुसार अमेरिकी नॉन-फार्म पेरोल डेटा का मार्केट को इंतजार है, जो फेडरल रिजर्व की दर कटौती की आंशिक संभावनाओं पर भी प्रभाव डाल सकता है. बता दें कि शुक्रवार को भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के निर्देशों का पालन करते हुए कुछ सरकारी बैंको ने डॉलर की बिक्री की इससे रुपये की गिरावट को सीमित करने में सहायता मिली.
फाइनेंशियल एक्सप्रेस से बात करते हुए मिराए एसेट शेयरखान के रिसर्च एनालिस्ट अनुज चौधरी ने कहा कि आने वाले समय में भी रुपये पर दबाव जारी रह सकता है. उन्होंने आगे बताया कि, “घरेलू बाजारों की कमजोर स्थिति, मजबूत डॉलर और विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FII) की लगातार निकासी रुपये पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकते हैं. इसके अलावा, कच्चे तेल की में कीमतों में वृद्धि और अमेरिकी ट्रेजरी यील्ड में उछाल भी रुपये पर दबाव डाल सकते हैं.”
बताया जा रहा है कि अमेरिकी बॉन्ड यील्ड्स में वृद्धि और नॉन-डिलिवरेबल फॉरवर्ड्स (NDF) मार्केट में डॉलर की मजबूत मांग के चलते भी भारतीय रुपये की वैल्यू में गिरावट आई. डॉलर की मजबूती और वैश्विक आर्थिक अनिश्चितताओं जैसे लगातार चुनौतियों के बीच, रुपये पर भारी दबाव बना हुआ है. हालांकि, आरबीआई के नियमित हस्तक्षेपों ने रुपये की गिरावट को नियंत्रित करने में मदद की है. एक्सपर्ट्स का मानना है कि मौजूदा वैश्विक आर्थिक परिस्थितियों और घरेलू वजहों के बीच भारतीय रुपये की स्थिति कमजोर बनी रह सकती है.