पाकिस्तान में इमरान समर्थकों का दमन, सेना ने बना लिया है नाक का सवाल

इस्लामाबाद : अपने समर्थकों के जारी दमन के बीच पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान ने एलान किया है कि अगर अपनी पार्टी में अकेले भी बच गए, तभी वे मौजूदा सत्ता तंत्र के खिलाफ ‘असली आजादी’ की लड़ाई जारी रखेंगे। सेना समर्थिक कार्रवाई के कारण इमरान खान की पार्टी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) के कई नेताओं ने पार्टी से किनारा कर लिया है। उधर कई बड़े नेताओं को जेल में डाला जा चुका है। इमरान खान ने दावा किया है कि उनकी पार्टी साढ़े सात हजार कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार किया है और इस दौरान कम से कम 45 लोगों को सुरक्षा बलों ने मार डाला है।

इमरान खान ने अपना लिए हैं आक्रामक तेवर

अमेरिकी थिंक टैंक विल्सन सेंटर की तरफ से प्रकाशित एक विश्लेषण में कहा गया है कि पाकिस्तान में ऐसे दमन के बीच दूसरे नेता अकसर समर्पण कर देते थे, लेकिन इमरान खान ने और आक्रामक तेवर अपना लिए हैं। उन्होंने सेना के खिलाफ बोलना जारी रखा है, जबकि पीटीआई के खिलाफ दमन की मौजूदा मुहिम की शुरुआत उनके सेना अधिकारियों के खिलाफ बयान देने से ही हुई थी। खान ने आरोप लगाया था कि पिछले नवंबर में उनकी साजिश खुफिया एजेंसी आईएसआई के अधिकारी फैसल नसीर ने रची। पिछले नौ मई को हुई गिरफ्तारी के बाद इमरान जब रिहा हुए, तब उन्होंने इन सारे घटनाक्रमों के लिए सेनाध्यक्ष जनरल असीम मुनीर को जिम्मेदार ठहराया।

विश्लेषकों के मुताबिक ताजा घटनाओं का संकेत यह है कि सेना और खुफिया तंत्र ने इमरान खान के इर्द-गिर्द शिकंजा कस दिया है। नौ मई को इमरान खान की गिरफ्तारी के बाद जिस तरह सैन्य ठिकानों पर हमले हुए, उससे सेना की प्रतिष्ठा और रुतबे दोनों पर आंच आई है। अब सेना उसका बदला लेने के मूड में दिख रही है।

सेना के प्रति आवाम में वैर भाव बढ़ा है

विश्लेषक बाकिर सज्जाद ने लिखा है कि लोगों में सेना के खिलाफ असंतोष कोई नई बात नहीं है, लेकिन सियासत में बार-बार उसके खुले हस्तक्षेप के कारण अब लोगों की नाराजगी नए मुकाम पर पहुंच चुकी है। पूर्व सेनाध्यक्ष जनरल कमर जावेद बाजवा ने अपने रिटायरमेंट समारोह में दिए विदाई भाषण में स्वीकार किया था कि गुजरे सात दशकों में घरेलू राजनीति में बार-बार दखल देने के कारण सेना के प्रति आवाम में वैर भाव बढ़ा है।

देश में बढ़ रहे टकराव का सबसे बड़ा कारण है सेना का दखल

सज्जाद ने लिखा है कि साल 2007 से आम लोग लगातार सेना से राजनीतिक दायरा छीनने की कोशिश कर रहे हैं। इस बीच सेना ने परदे के पीछे रहते हुए भी सत्ता पर नियंत्रण बनाए रखने का तरीका सीख लिया है। यही इस समय देश में बढ़ रहे टकराव का सबसे बड़ा कारण है। जानकारों के मुताबिक इमरान खान के लिए भारी जन समर्थन का सबसे बड़ा कारण उनकी यह छवि है कि पाकिस्तान के इतिहास में सेना के आगे ना झुकने वाले वे अकेले राजनेता रहे हैं। इसलिए सेना की प्राथमिकता भी उनको किसी तरह रोक देने की है।

पुलिस का घेरा असल में उन्हें फिर से गिरफ्तार करने के लिए : इमरान

शुक्रवार सुबह तक लाहौर में इमरान खान के निवास पर पुलिस का घेरा बना रहा था। पुलिस ने दावा किया है कि नौ मई की हिंसा में शामिल रहे 30 से 40 ‘आतंकवादी’ वहां छिपे हुए हैं। पुलिस ने इमरान खान से कहा है कि वे उन्हें पुलिस को सौंप दें। जबकि गुरुवार रात एक ऑनलाइन प्रसारण में उन्होंने इस आरोप को ‘बकवास’ बताया और आरोप लगाया कि पुलिस का घेरा असल में उन्हें फिर से गिरफ्तार करने के लिए है।

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