इंद्रावती जलसंकट पर चिंतन: जागरूकता लाने के लिए प्रतियोगिता, कैदियों ने जीती नारा और आलेख स्पर्धा

जगदलपुर। साहित्य एवं कला समाज ने बस्तर की प्राणदायिनी इंद्रावती नदी के जलसंकट पर चिंतन और जागरूकता के लिए नारा, कविता और लेख प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। इस प्रतियोगिता के परिणाम घोषित कर विजेताओं और प्रतिभागियों को नगद राशि, सम्मान पत्र और स्मृति चिन्ह प्रदान किया गया।

कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि रिटायर्ड विंग कमांडर जितेन्द्र प्रसाद पात्रो, रिटायर्ड ले के एल कोस्टा, स्वामी शिवदासानंद, बी एल विश्वकर्मा और अनिता राज थे। प्रायोजक साहित्य एवं कला समाज के अध्यक्ष सनत जैन ने मंच संचालन किया। उन्होंने बताया कि, लगभग 60 से ज्यादा प्रतिभागियों ने इस प्रतियोगिता में भाग लिया जो कार्यक्रम की भव्य सफलता को इंगित करता है। प्रतियोगिता की विशेष बात यह थी कि, सेंन्ट्रल जेल के दो कैदियों ने नारा लेखन और आलेख में प्रथम स्थान प्राप्त किया।

सुरेन्द्र नाग ने नारा लेखन में जीता प्रथम पुरस्कार:

नारा लेखन पर प्रथम पुरस्कार सुरेन्द्र नाग (जगदलपुर) को दिया गया जिन्होंने नारा दिया-चलो प्रतिदिन कुछ श्रमदान करें, इंद्रावती को बचाने का पुनीत काम करें। द्वितीय पुरस्कार कु अनामिका नेताम (फुपगांव, फरसगांव) को मिला। जिनका नारा था-जल है तो कल है, इंद्रावती है तो हल है। तृतीय पुरस्कार सौमित बसाक (जगदलपुर) को मिला, जिनका नारा था -इंद्रावती लुप्त, बस्तर सुसुप्त। सांत्वना पुरस्कार कु शिवांगी यदु (जगदलपुर), मनोज पानीग्राही (जगदलपुर) को दिया गया।

ये रहे कविता और आलेख प्रतियोगिता के विजेता:

कविता लेखन में प्रथम पुरस्कार कामना पाण्डे (बिलासपुर) ने प्राप्त किया। द्वितीय पुरस्कार करमजीत कौर (जगदलपुर) ने प्राप्त किया। तृतीय पुरस्कार विनय श्रीवास्तव (जगदलपुर) ने प्राप्त किया। सांत्वना पुरस्कार अनिल शुक्ला (जगदलपुर), कु नियति साहू (कुरूद, धमतरी) एवं मोहिब हुसैन अम्बिकापुर को प्रदान किया गया। आलेख का प्रथम सम्मान मुकेश कुमार साहू (जगदलपुर), द्वितीय सम्मान कु प्रियंका मरकाम (कुंदाडीही, बड़ेराजपुर), तृतीय सम्मान जितेश कुमार (रायपुर) को दिया गया।

मेधावी छात्राओं को दी गई छात्रवृत्ति:

इस कार्यक्रम में गरीब और मेधावी छात्राओं को पिछले इक्कीस सालों की तरह आर तिवारी, शांती तिवारी परिवार की ओर से रामु स्मृति छात्रवृत्ति प्रदान किया गया। इसके बाद शांती तिवारी द्वारा लिखित ’कचहरी की आत्मकथा’ पुस्तक का विमोचन किया गया। जिसकी समीक्षा डॉ कौशलेन्द्र मिश्र ने की है। इस पुस्तक में वर्तमान न्यायव्यवस्था पर साहसपूर्ण ढंग से सच्चाई को उद्घाटित किया गया है।

जब भी भारत पर हमला करने की कोशिश करेगा मुंह की खानी पड़ेगी:

आपरेश सिंदूर की सफलता पर पूर्व विंग कमांडर पात्रो ने कहा कि, समाज का हर सदस्य अपने-अपने क्षेत्रों में अपना अहम योगदान दे रहा है, तभी देश उन्नति कर रहा है। इसलिये सभी योद्धा हैं। पूर्व ले कोस्टा ने कहा कि, दुश्मन देश यह न समझे कि भारत के सैनिक कुछ न करेंगे, बल्कि जब भी कोई भारत पर हमला करने की कोशिश करेगा तब तब उसे मुंह की खानी पड़ेगी। भारत के सैनिक अपनी मां भारती के लिए हमेशा अपने प्राण न्यौछावर करने को तत्पर रहते हैं।

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