हनुमान जयंती हर साल चैत्र मास की पूर्णिमा को मनाई जाती है। कई जगहों पर यह पर्व कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष के चौदवें दिन भी मनाया जाता है। इस साल हनुमान जयंती 6 अप्रैल, गुरुवार के दिन मनाई जाएगी।
धर्म ग्रंथों में हनुमानजी के 12 नाम बताए गए हैं, जिनके द्वारा उनकी स्तुति की जाती है। श्रीहनुमान अंक के अनुसार हनुमानजी के इन 12 नामों का जो पाठ करता है, उसके सभी भय दूर हो जाते हैं और उसे अपने जीवन में सभी सुख प्राप्त होते हैं। वह अपने जीवन में अनेक उपलब्धियां प्राप्त करता है। हनुमानजी की 12 नामों वाली स्तुति इस प्रकार है-
स्तुति-
हनुमानअंजनीसूनुर्वायुपुत्रो महाबल:।
रामेष्ट: फाल्गुनसख: पिंगाक्षोअमितविक्रम:।।
उदधिक्रमणश्चेव सीताशोकविनाशन:।
लक्ष्मणप्राणदाता च दशग्रीवस्य दर्पहा।।
एवं द्वादश नामानि कपीन्द्रस्य महात्मन:।
स्वापकाले प्रबोधे च यात्राकाले च य: पठेत्।।
तस्य सर्वभयं नास्ति रणे च विजयी भवेत्।
राजद्वारे गह्वरे च भयं नास्ति कदाचन।।
इसमें उल्लेखित हनुमानजी के 12 नाम कैसे पड़े जानते हैं यहां।
– हनुमान
एक बार क्रोधित होकर देवराज इंद्र ने इनके ऊपर अपने वज्र का प्रहार किया। वज्र इनकी ठोड़ी (हनु) पर लगा। हनु पर वज्र का प्रहार होने से ही इनका नाम हनुमान पड़ा।
– लक्ष्मणप्राणदाता
राम-रावण युद्ध के दौरान रावण के पुत्र इंद्रजीत के शक्तिबाण से लक्ष्मण मूर्छित हुए थे। हनुमान ने संजीवनी लाई थी और लक्ष्मण होश में आए थे। तब से यह नाम पड़ा।
– दशग्रीवदर्पहा
दशग्रीव यानी रावण और दर्पहा यानी धमंड तोड़ने वाला। हनुमानजी ने कई बार रावण का धमंड तोड़ा था, इसलिए इनका एक नाम ये भी प्रसिद्ध है।
– रामेष्ट
हनुमान भगवान श्रीराम के परम भक्त हैं। भगवान श्रीराम को प्रिय होने के कारण ही इनका एक नाम रामेष्ट भी है।
– फाल्गुनसुख
महाभारत के अनुसार, पांडु पुत्र अर्जुन का एक नाम फाल्गुन भी है। युद्ध के समय हनुमानजी अर्जुन के रथ की ध्वजा पर विराजित थे। फाल्गुन सुख का अर्थ है अर्जुन का मित्र।
– पिंगाक्ष
पिंगाक्ष का अर्थ है भूरी आंखों वाला। अनेक धर्म ग्रंथों में हनुमानजी को भूरी आंखों वाला बताया है, इसलिए इनका एक नाम पिंगाक्ष भी है।
– अमितविक्रम
विक्रम का अर्थ है पराक्रमी और अमित का अर्थ है बहुत अधिक। हनुमानजी ने अपने पराक्रम से ऐसे बहुत से कार्य किए, जिन्हें करना देवताओं के लिए भी कठिन था। इसलिए इन्हें अमितविक्रम भी कहा जाता हैं।
– उदधिक्रमण
उदधिक्रमण का अर्थ है समुद्र का अतिक्रमण करने वाले यानी लांधने वाला। सीता माता की खोज करते समय हनुमानजी ने समुद्र लांघा था। इसलिए इनका यह नाम पड़ा।
-अंजनीसुत
माता अंजनी के पुत्र होने के कारण ही हनुमानजी का एक नाम अंजनीसुत भी है।
– वायुपुत्र
हनुमानजी का एक नाम वायुपुत्र भी है। पवनदेव के पुत्र होने के कारण ही इन्हें वायुपुत्र भी कहा जाता है।
– महाबल
हनुमानजी के बल की कोई सीमा नहीं हैं, इसलिए इनका एक नाम महाबल भी है।
– सीताशोकविनाशन
माता सीता के शोक का निवारण करने के कारण हनुमानजी का ये नाम पड़ा।