Raipur : छत्तीसगढ़ में पटवारियों की भ्रष्टाचार और घूसखोरी की घटनाएं लगातार सुर्खियां बटोर रही हैं। ताजा मामला राजधानी रायपुर के पटवारी हल्का क्रमांक 83 कांदुल का है, जहां पटवारी उमा प्रधान ने नामांतरण का ऑनलाइन रिकॉर्ड चढ़ाने के नाम पर 10 हजार रुपए की घूस मांगी।
कैसे हुआ घूस का खुलासा?
मामले का खुलासा तब हुआ जब पीड़ित ने घूस देने की प्रक्रिया का वीडियो बना लिया। वीडियो में स्पष्ट रूप से पटवारी उमा प्रधान को यह कहते हुए सुना गया कि “दस हजार से कम में काम नहीं हो पाएगा।” पीड़ित ने पहले दिन चार हजार रुपए दिए और बाकी छह हजार दूसरे दिन पटवारी को सौंपे।
“घूस का पैसा ऊपर तक जाता है” – पटवारी का दावा
वीडियो में पटवारी ने यह भी कहा कि “घूस का पैसा नीचे से ऊपर तक बंटता है।” इस बयान ने यह सवाल खड़ा कर दिया है कि भ्रष्टाचार की जड़ें कहां तक फैली हुई हैं और किन-किन अधिकारियों तक यह पैसा पहुंचता है। इस पूरे मामले की गहन जांच की आवश्यकता है।
प्रशासन और शासन पर सवाल
घूसखोरी और भ्रष्टाचार की बढ़ती घटनाओं से स्पष्ट है कि एसीबी की कार्रवाई के बावजूद पटवारियों में कानून का कोई डर नहीं है। छोटे-छोटे कार्यों के लिए भी खुलेआम घूस मांगी जा रही है।
जरूरत है कड़ी कार्रवाई की
इस घटना ने फिर से यह साबित कर दिया है कि भ्रष्टाचार के खिलाफ एक सख्त और व्यापक अभियान चलाने की आवश्यकता है। प्रशासन और सरकार को मिलकर ऐसे भ्रष्ट कर्मचारियों पर कठोर कार्रवाई करनी चाहिए ताकि आम नागरिकों के काम सरलता और पारदर्शिता से हो सकें। गरीब और आम जनता को लूटने का यह खेल अब बंद होना चाहिए।