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भारतमाला परियोजना गड़बड़ी मामले में 6 अधिकारियों को उद्घोषणा जारी, 30 दिन में कोर्ट में हाजिर ना होने पर कुर्क होगी संपत्ति

रायपुर : छत्तीसगढ़ के भारतमाला परियोजना घोटाले में 6 अधिकारियों के खिलाफ उद्घोषणा जारी की गई है. एसीबी  की विशेष कोर्ट ने आदेश दिया है कि अगर आरोपी 30 दिन के अंदर हाजिर नहीं होते हैं तो उनकी संपत्ति कुर्क की जाएगी. इन 6 अधिकारियों में अनुविभागीय अधिकारी(राजस्व) निर्भय कुमार साहू, तहसीलदार शशिकांत कुर्रे, नायब तहसीलदार लखेश्वर प्रसाद किरण, पटवारी जितेन्द्र कुमार साहू, पटवारी बसंती धृतलहरे और पटवारी लेखराम देवांगन का नाम शामिल है.

एसीबी कई बार नोटिस जारी कर चुकी है

छत्तीसगढ़ के भारतमाला परियोजना घोटाले में आरोपी 6 अधिकारी निर्भय कुमार साहू, शशिकांत कुर्रे, लखेश्वर प्रसाद किरण, जितेन्द्र कुमार साहू, बसंती धृतलहरे और लेखराम देवांगन को पहले एसीबी कई बार नोटिस जारी कर चुकी है. कोर्ट इनके खिलाफ गिरफ्तारी वारंट भी जारी कर चुका है लेकिन ये लोग अभी तक हाजिर नहीं हुए हैं.

सुसाइड नोट में तीन अधिकारी-कर्मचारी के नाम

घोटाले में एक अन्य आरोपी सुरेश मिश्रा ने सुसाइड कर लिया था. सुसाइड नोट में उन्होंने भारतमाला प्रोजेक्ट को लेकर तीन अधिकारी-कर्मचारी का नाम लिखा है. पुलिस का कहना है कि इनमें एक स्थानीय कोटवार और एक दूसरे पटवारी के अलावा एक बड़े अधिकारी का नाम शामिल है. हालांकि पुलिस ने सुसाइड नोट सार्वजनिक नहीं किया है. सकरी थाना प्रभारी प्रदीप आर्य इसी एंगल से जांच कर रहे हैं कि आखिर भारत माला प्रोजेक्ट में जिन संभावित अधिकारी कर्मचारियों का नाम लिखा है. उनकी भूमिका इस घोटाले में कितनी है और आगे इस पर जांच और जुर्म दर्ज करने की बात कही जा रही है.

पटवारी सुरेश मिश्रा ने लगाई थी फांसी

बिलासपुर में भारतमाला प्रोजेक्ट के भ्रष्टाचार में फंसे निलंबित पटवारी सुरेश मिश्रा ने अपनी बहन के फॉर्म हाउस में फांसी लगाकर जान दे दी. उन्होंने सकरी थाना क्षेत्र के जोकि गांव में इस घटना को अंजाम तक पहुंचाया है. छत्तीसगढ़ के इतिहास में पहली बार ऐसा हुआ है जब प्रशासन ने किसी पटवारी को गड़बड़ी में सस्पेंड किया हो और इससे अवसाद में आकर उसने अपनी जान दी है. इसके कारण यह घटना पूरे छत्तीसगढ़ में चर्चा का विषय है. पटवारी सुरेश मिश्रा ने एक सुसाइड नोट छोड़ा है, जिसमें उन्होंने लिखा है- ‘मैं दोषी नहीं हूं.’ ऐसे में सवाल उठने लगे हैं कि आखिर दोषी कौन है और कब तक प्रशासन और पुलिस उन्हें सामने लाएगी?

पटवारी सुरेश मिश्रा के खिलाफ तोरवा थाना क्षेत्र में इसी गड़बड़ी को लेकर धोखाधड़ी का अपराध भी दर्ज किया गया था. मामले में पुलिस को सुसाइड नोट मिला है, जिसमें मृतक पटवारी सुरेश मिश्रा ने अपने आप को बेगुनाह बताया है और उन्होंने स्पष्ट किया है कि वह भारत माला प्रोजेक्ट में दोषी नहीं है. परिजनों का कहना है की पटवारी सुरेश मिश्रा इस पूरे मामले में बेकसूर है और उन्हें फंसाया गया है इसलिए उन्होंने इस पूरे प्रकरण में जांच की मांग की है.

जानिए क्या है भारतमाला प्रोजेक्ट

रायपुर से धनबाद तक केंद्र की योजना के तहत भारतमाला परियोजना में सड़क का निर्माण करवाया जा रहा है. इस सड़क को जोड़ने के लिए बिलासपुर में ढेंका गांव से उरगा तक 70 किलोमीटर एक्सप्रेसवे का निर्माण लगभग हो चुका है. सिर्फ 300 मीटर जमीन अधिग्रहण बाकी है, जिसके कारण पूरी परियोजना अटकी हुई है. इसे लेकर NHI ने जिला प्रशासन को पत्र लिखकर जमीन अधिग्रहण की बात लिखी है. इसी प्रोजेक्ट में मुआवजा वितरण करने में करोड़ों रुपए का भ्रष्टाचार सामने आया है, जिसमें बिलासपुर के तत्कालीन तहसीलदार DS उईके और पटवारी सुरेश मिश्रा के खिलाफ बड़ी कार्रवाई हुई थी. पटवारी को कुछ दिन पहले सस्पेंड किया गया था और तोरवा थाना में पटवारी के खिलाफ धोखाधड़ी का मामला दर्ज किया गया था. इसके बाद पटवारी सुरेश डिप्रेशन में थे. परिजनों का कहना है इसी डिप्रेशन में आकर उन्होंने अपनी जान दे दी है.

भारतमाला प्रोजेक्ट में रायपुर से धनबाद तक एक्सप्रेस हाई-वे के लिए बिलासपुर से उरगा तक 1115 करोड़ रुपए की लागत से यह इकोनामिक कॉरिडोर तैयार हो रहा है. इस योजना में ही 100 किलोमीटर एक्सप्रेस फोरलेन सड़क बन रही है. इस योजना में 70 किलोमीटर सड़क के लिए 46 गांव की जमीन ली गई है. इसमें 500 करोड़ रुपए का मुआवजा बांटा गया है और इसमें ही अलग-अलग जगह भ्रष्टाचार की बात उजागर हो गई है.

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