पोलावरम परियोजना : आन्ध्र के बाँध में डूब जायेंगे छत्तीसगढ़ के 9 गाव, विवाद पर पीएम का दखल

जगदलपुर। पोलावरम बहुउद्देशीय सिंचाई परियोजना को लेकर बढ़ते अंतर-राज्यीय तनावों के बीच अब केंद्र सरकार ने बडी पहल की है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदीं 28 मई को इस राष्ट्रीय परियोजना पर एक उच्चस्तरीय बैठक की अध्यक्षता करेंगे, जिसमें ओडिशा, तेलंगाना और आंप्रप्रदेश के मुख्यमंत्री शामिल होंगे। प्रधानमंत्री खुद इस मुद्दे पर चारों राज्यों के मुख्यमंत्रियों से सीधे संवाद करेंगे। बैठक में भूमि डुबान, आदिवासी विस्थापन और पुनर्वास जैसे संवेदनशील विषयों पर चर्चा होगी, जो लंबे समय से राज्यों के बीच विवाद का कारण बने हुए हैं।
सूत्रों के अनुसार, बैठक में केंद्रीय जल शक्ति मंत्रालय, केंद्रीय जल आयोग, पोलावरम परियोजना प्राधिकरण के साथ-साथ सभी राज्यों के जल संसाधन मंत्री और वरिष्ठ अधिकारी भी उपस्थित रहेंगे। उम्मीद जताई जा रही है कि प्रधानमंत्री की इस पहल से परियोजना को लेकर जारी गतिरोध टूटेगा और कार्य में तेजी आएगी। विदित हो कि इस परियोजना से आंध प्रदेश को फायदा होगा वही बस्तर को सबसे ज्यादा नुकसान होने के संकेत है।
मिली जानकारी के मुताबिक, पोलावरम का निर्माण किया गया तो इससे न केवल आदिवासी भूमि का बड़ा हिस्सा जलमग्र हो जाएगा, जिससे लाखों आदिवासी विस्थापित हो जाएंगे और बांस शिल्प सहित उनकी आजीविका के अन्य विकल्प छिन जाएंगे, बल्कि कोंडा रेड्डी आदिवासी लोगों के लिए भी संकट पैदा हो जाएगा, जिनकी जनसंख्या घट रही है। देश के राष्ट्रीय धरोहर पोलावरम बांध परियोजना से आंध्रप्रदेश को जहां लाभ ही लाभहै, वहीं इस परियोजना से छत्तीसगढ़ के सुकमा जिले के कोंटा तहसील को सवार्धिक नुकसान होने के संकेत है। पूर्व सीएम भूपेश बघेल के निर्देश पर जल संसाधन विभाग की एक टीम बनाई गई थी। टीम सुकमा जाकर आंध प्रदेश में बन रहे पोलावरम बांध से छत्तीसगढ़ के वनांचल और ग्रामीण इलाकों में होने वाले नुकसान का जायजा लिया था। पोलावरम प्रोजेक्ट को लेकर ओडिशा में विरोध के सुर उठ चुके है। दरअसल पोलावरम बांध परियोजना के चलते छत्तीसगढ़ और ओडिशा के भी कुछ गांव डुबान क्षेत्र में आ रहे हैं। इसको लेकर छत्तीसगढ़ के साथ ही ओडिशा में विरोध के सुर उठ चुके हैं। इस प्रोजेक्ट से इलाके में कितने लोग प्रभावित हो रहे हैं। प्रभावितों को कैसे मदद पहुंचाई जा सकती है। ग्रामीणों के पुनर्वास के लिए क्या किया जा सकता है।
क्या निकलेगा समाधान
अब सबकी निगाहें 28 मई को होने वाली इस महत्वपूर्ण बैठक पर टिकी हैं। विशेषज्ञ मानते हैं कि यदि इस बैठक में सर्वसम्मति बनती है, तो न केवल वर्षों से अटकी परियोजना को नई दिशा मिलेगी, बल्कि आदिवासी पुनर्वास और पर्यावरणीय संतुलन के मुद्दों का भी हल निकाला जा सकेगा।
क्या है पोलावरम प्रोजेक्ट
पोलावरम प्रोजेक्ट आंध्रप्रदेश में गोदावरी नदी पर बन रहा एक बहुउद्देश्यी बांध है। इससे आंध्रप्रदेश के 2 लाख हैक्टेयर से ज्यादा जमीन को सिंचित किया जाएगा। वहीं इस परियोजना से आंध्रप्रदेश में इससे करीब 900 मेगावाट बिजली भी पैदा की जाएगी। इसके अलावा, औद्यगिक ईकाइयों को पानी की आपूर्ति भी इससे होगा। इस बांध को 2014 में राष्ट्रीय परियोजना घोषित किया गया था।
कोंटा समेत 9 गांव ड्रबेंगे
पोलावरम बांध के इतिहास पर नजर डालें तो यह आंध्र प्रदेश की इंदिरा सागर अंतर्राज्यीय परियोजना है 1978 के पहले परियोजना बनाई गई थी, गोदावरी नदी पर सालों से बांध निर्माण का काम चल रहा है। अगर बांध बन जाता है तो सुकमा जिले के कोंटा सहित 9 गांव डूब जाएंगे। इनमें बंजाममुड़ा, मेटागुंडा, पेदाकिसोली, आसीरगुंडा, इंजरम, फंदीगुंडा, ढोढरा, कोंटा, वेंकटपुरम के प्रभावित होने का अनुमान है। इन क्षेत्रों की जनसंख्या 18 हजार 510 है।
नई सरकार की नई पहल
गौरतलब है कि आंध्रप्रदेश में हाल ही में एनडीए सरकार के दोबारा सत्ता में आने के बाद पोलावरम परियोजना के कार्य में उल्लेखनीय तेजी देखी गई है। ऐसे में केंद्र अब इसे समयबद्ध तरीके से पूर्ण करने के लिए राजनीतिक और प्रशासनिक दोनों स्तरों पर निर्णायक कदम उठा रहा है।