CG दुर्ग में केवल दो प्रत्याशी : मेयर का चुनाव हो गया महंगा, पार्षद के लिए खड़ी फौज

दुर्ग : नगर निगम चुनाव में ऐसा पहली बार हो रहा है कि महापौर बनने भाजपा और कांग्रेस के प्रत्याशियों के आलावा कोई भी चुनाव नहीं लड़ रहा। हमेशा भाजपा और कांग्रेस के वोट बैंक बिगाड़ने वाले निर्दलीय प्रत्याशियों ने भी इस बार दखल नहीं दिया हैं। इसे लेकर कुछ पुरानी पार्टियों का मत है कि पार्षद से ज्यादा खर्चीला चुनाव मेयर का हो गया है। कुछ का कहना है कि राष्ट्रीय पार्टी का हाथ होने पर ही मेयर चुनाव लड़ने का जोखिम उठाया जा सकता है।

दुर्ग नगरनिगम और विधानसभा क्षेत्र एक है, इसलिए यहां ताराचंद साहू के स्वाभिमान मंच की भी धमक रही है, लेकिन वर्तमान में इसका अस्तित्व नहीं है। इसी तरह बसपा और आप पार्षद प्रत्याशी ही अब तक उतार पाए है। पिछले चुनाव में जोगी कांग्रेस का एक प्रत्याशी प्रकाश जोशी जीते थे, लेकिन वर्तमान में इस पार्टी का विलय कांग्रेस में हो गया है। दुर्ग नगरनिगम में भाजपा और कांग्रेस की लड़ाई को निर्दलीय या अन्य पार्टी सेंध लगाते रहे हैं, लेकिन पहली बार ऐसा हुआ है कि दुर्ग नगरनिगम के साठ वार्ड वाले सीट में भाजपा और कांग्रेस के प्रत्याशी के आलावा कोई चेहरा मैदान में नहीं है।

हमेशा त्रिकोणीय मुकाबला, अब पहली बार आमने-सामने 

1999-2009 तक दो बार भाजपा से सरोज पांडेय मैदान पर थी और जीत दर्ज की थी। पहले चुनाव में उनके सामने कांग्रेस की चंदाबाई शर्मा थी, लेकिन निर्दलीय प्रत्याशी शैलजा पान्डे ने कांग्रेस का समीकरण बिगाड़ा था। इसके बाद 2009 में भाजपा से डॉ. शिव कुमार तमेर महापौर निर्वाचित हुए। उन्हें भी कांग्रेस के साथ छत्तीसगढ स्वाभिमान मंच के प्रत्याशी राजेन्द्र साहू से कड़ा मुकाबला करना पड़ा था। इस चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी शंकर लाल ताम्रकार तीसरे नंबर पर रहे थे। उसके बाद 2014 में हुए चुनाव में भाजपा से च द्रिका चंद्राकर महापौर निर्वाचित हुई। उन्हें भी त्रिकोणी मुकाबले में निर्दलीय दीपा मध्यानी से कड़ी चुनौती मिली थी।

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