अब श्रीलंका में हिंदू मंदिरों पर आफत, कभी तोड़फोड़ तो कभी मूर्तियों के गायब होने से गुस्सा ए तमिल

कोलंबो: श्रीलंका में पिछले कुछ दिनों से मीडिया में एक ही बात पर चर्चा हो रही है। यहां पर पिछले कुछ हफ्तों में हिंदू मंदिरों पर हमलों में तेजी आई है। इसकी वजह से यहां पर बसा तमिल समुदाय खासा नाराज है। उनका मानना है कि सिंहलीकरण को लेकर जो भी देश के उत्‍तर में हो रहा है, उसकी वजह से इस ट्रेंड को बढ़ावा मिला है। मीडिया में पिछले कई दिनों से मंदिरों पर हमले के अलावा मूर्तियों में तोड़फोड़ की गई। कुछ मंदिरों में या तो म‍ूर्तियां गायब हो गई हैं या फिर उन्‍हें नुकसान पहुंचाया गया है। इन घटनाओं से यहां बसे तमिल काफी दुखी हैं।

जाफना में बढ़े हमले

अखबार द हिंदू की रिपोर्ट के मुताबिक श्रीलंका के जाफना में, कुछ तमिलों ने एक सार्वजनिक स्थान पर हिंदू देवता की मूर्ति को स्‍थापित किया है। इसके बाद पुलिस ने कोर्ट में याचिका दायर इसे हटाने की मांग की है। कई तमिल राजनीतिक दलों ने बाकी और मुद्दों के साथ-साथ मंदिरों पर होने वाले हमलों की वजह से 25 अप्रैल को विरोध प्रदर्शन की अपील की है। जहां एक तरफ हिंदुओं के मंदिरों को निशाना बनाया जा रहा है तो वहीं दूसरी ओर उत्तरी प्रांत में नए बौद्ध स्‍थल और मंदिरों की संख्या में वृद्धि हो रही है। यह वह प्रांत है जहां पर सबसे ज्‍यादा हिंदू रहते हैं। जबकि उनके बाद ईसाई और मुसलमान हैं और फिर सबसे अंत में बौद्ध आते हैं।

पुरातत्‍व विभाग की गतिविधियां

तमिल बहुल उत्तर और पूर्व में श्रीलंका के पुरातत्व विभाग की बढ़ती गतिविधियों के बीच यह घटनाक्रम सामने आया है। अधिकारियों ने ऐतिहासिक स्थलों में चल रही रिसर्च का हवाला देते हुए कुछ मंदिरों में श्रद्धालुओं की एंट्री को बैन कर दिया है। पिछले दिनों जब मीडिया ने एक ऐसे युवक की गिरफ्तारी की सूचना दी जिसने वावुनिया के वेदुक्कुनारिमलाई में एक मंदिर में पूजा करने का प्रयास किया तो इस बात की जानकारी मिली। इस मंदिर में मूर्तियों की तोड़-फोड़ के विरोध में पिछले महीने इलाके में एक बड़ा विरोध प्रदर्शन किया गया था।

जाफना के विधायक और तमिल नेशनल पीपुल्स फ्रंट के नेता गजेंद्रकुमार पोन्नम्बलम इन घटनाओं को पूजा के साथ ही साथ तमिलों के अधिकारों पर एक बड़े हमले के तौर पर देखते हैं। उनका कहना है कि युद्ध के खत्‍म होने के बाद से ही गातार सरकारों ने उत्तर और पूर्व में सिंहलीकरण अभियान को तेज कर दिया है। ऐसा लगता है कि युद्ध की वजह से 30 साल का जो अंतर आया है वह उसे अब किसी भी हाल में खत्‍म करना चाहते हैं।

बौद्ध मंदिरों में हुआ इजाफा

पिछले कुछ सालों में कुरुन्थुरमलाई, मुल्लईतिवु में अय्यर मंदिर में बौद्ध ढांचों में तेजी से इजाफा हुआ है। कोर्ट के आदेश के बाद भी उस जगह पर किसी भी नए धार्मिक प्रतिष्ठान को रोकने के लिए साल 2021 में एक राज्य मंत्री ने एक आंदोलन का नेतृत्‍व किया है। यह आंदोलन श्रीलंका के और पुरातत्व विभाग के अधिकारियों की उपस्थिति में हुआ था। इसका मकसद उस जगह पर एक बौद्ध प्रतिमा स्थापित करना था। इस जमीन को लेकर इसी तरह के विवादों की सूचना पहले भी मिली है। लोगों की मानें तो पूर्व राष्‍ट्रपति गोटाबया राजपक्षे और उनके परिवार ने सिंहलीकरण को और बढ़ाया है। लेकिन इसका मतलब यह तो नहीं है कि वर्तमान राष्‍ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे इस पर आंख बंद कर लें।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button