कोरोना से भी खतरनाक है निपाह; बने कंटेनमेंट जोन, आने-जाने पर पाबंदी, स्कूल-कॉलेज भी हुए बंद
कोझिकोड। Nipah Vs Corona Virus: कोरोना महामारी के दौरान आए संकट एक बार मंडरा रहे हैं। केरल के कोझिकोड जिले में निपाह वायरस के मामलों ने इसके संकेत दिए हैं, क्योंकि कोझिकोड जिले में एक बार कोरोना के दौरान पैदा हुई विषम परिस्थितियां दिख रही हैं। जिले के 9 पंचायतों को कंटेनमेंट जोन बनाया गया है। यहां बाहर के लोगों के आने और कंटेनमेंट जोन के लोगों के बाहर जाने पर प्रतिबंध है।
हालात ये हैं कि दुकानों के खुलने की टाइमिंग भी कोरोना काल की तरह तय की गई है। लोगों से मास्क पहनने, सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करने की सलाह दी गई है। स्कूल-कॉलेज अगले आदेश तक बंद कर दिए गए हैं, यानी कुल मिलाकर कोरोना काल के हालात पैदा हो गए हैं। फिलहाल, राज्य में निपाह वायरस के पांच मरीज मिले हैं, जिनमें से दो की मौत हो गई है, जबकि तीन अन्य मरीजों को क्वारैंटाइन कर इलाज किया जा रहा है।
देशभर में निपाह वायरस की चर्चा हो रही है, ऐसे में सवाल उठ रहा है कि क्या फिर से कोरोना वाले हालात पूरे देश में बनेंगे? क्या निपाह वायरस का कोई इलाज है? क्या ये कोरोना से ज्यादा खतरनाक है? इन सवालों का जवाब ढूंढा जाए तो एक बात साफ होती है कि ये वायरस कोरोना से ज्यादा खतरनाक है।
IMCR के डायरेक्टर जनरल ने कहा- निपाह को हल्के में न लें
कोरोना से निपाह की तुलना के सवाल पर iMCR यानी भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद के डायरेक्टर जनरल राजीव बहल ने बड़ा दावा किया है। उन्होंने कहा है कि निपाह वायरस संक्रमण से मृत्यु दर कोरोना की तुलना में काफी अधिक है।
कोरोना से मृत्यु दर 2 से 3 प्रतिशत है, जबकि निपाह से मृत्यु दर 40 से 70 प्रतिशत तक है। उन्होंने बताया कि निपाह के प्रकोप को रोकने के पूरे प्रयास किए जा रहे हैं। IMCR निपाह के इलाज के लिए ऑस्ट्रेलिया से ‘मोनोक्लोनल एंटीबॉडी’ की 20 और डोज खरीद रहा है। उन्होंने कहा कि ये डोज संक्रमण के शुरुआत में दिया जाना चाहिए, क्योंकि इस डोज के प्रभाव को लेकर अभी तक टेस्टिंग नहीं की गई है।
केरल के कोझिकोड में निपाह के कहर को देखते हुए तमाम तरह के एहतियात बरते जा रहे हैं। स्कूल-कॉलेज, इंस्टिट्यूट्स को अगले आदेश तक बंद किया गया है। साथ ही पार्कों और समुद्र तटों को भी बंद कर दिया गया है। वहीं, प्रार्थना सभाओं और सार्वजनिक कार्यक्रमों पर प्रतिबंध लगाया गया है।
कोरोना के जैसे ही हैं निपाह के लक्षण
निपाह वायरस एक ज़ूनोटिक बीमारी है, जो चमगादड़ों के जरिए मनुष्यों में फैलती है। ये दूषित भोजन और सीधे मानव-से-मानव संपर्क से भी फैल सकता है। निपाह वायरस संक्रमण के लक्षण कोरोना के समान हैं, जिनमें खांसी, गले में खराश, मांसपेशियों में दर्द, एन्सेफलाइटिस (मस्तिष्क में सूजन) और बहुत कुछ शामिल है।
निपाह वायरस का कहर पांच साल में चौथी बार केरल पर बरपा है। सबसे पहले इस वायरस का कहर 2018 में टूटा था। उस वक्त निपाह से संक्रमण के 23 मामले सामने आए थे, जिनमें से 21 लोगों की मौत हो गई थी। इसके बाद 2019 और 2021 में भी निपाह वायरस का प्रकोप दिखा था, हालांकि इस बार ये हल्का था।
खतरनाक इतना कि 48 घंटे में मरीज कोमा में भी जा सकता है
डॉक्टरों के मुताबिक, निपाह वायरस इतना खतरनाक है कि इससे संक्रमित मरीज 24 से 48 घंटे में कोमा में भी जा सकता है। एक अनुमान के मुताबिक, अगर निपाह से 100 मरीज संक्रमित हैं, तो इनमें से 40 से लेकर 75 मरीजों की मौत हो सकती है।
स्वास्थ्य विशेषज्ञों के मुताबिक, कोरोना के कई डोज प्रभावी हैं, जो इस वायरस को रोकने में कारगर हैं, लेकिन निपाह वायरस को रोकने के लिए फिलहाल कोई वैक्सीन नहीं बनी है। हां, कोरोना की शुरुआत की तरह निपाह से बचने के लिए अपनाए गए उपायों के जरिए इसे भी बढ़ने से रोका जा सकता है। जैसे- मास्क लगाना, सोशल डिस्टेंसिंग का पालन, सैनिटाइज़र का यूज आदि। यानी सतर्कता के अलावा कोई इलाज नहीं है।
भारत के अलावा इन देशों में निपाह का कहर
1999 में सबसे पहले सामने आए निपाह वायरस का कहर भारत के अलावा अन्य चार देशों में टूटा है। भारत के अलावा मलेशिया, सिंगापुर, बांग्लादेश, फिलीपींस में भी इस वायरस के मामले सामने आए हैं।
फिलहाल, केरल में संक्रमितों के संपर्क में आए करीब 1100 लोगों को चिन्हित किया गया है। इसमें 327 संदिग्ध स्वास्थ्य कर्मचारी हैं, जबकि कोझिकोड जिले के पड़ोसी जिलों के 29 लोग इस लिस्ट में शामिल हैं। केरल की स्वास्थ्य मंत्री वीणा जॉर्ज ने इस लिस्ट में शामिल लोगों की संख्या बढ़ने की आशंका जताई है।
उन्होंने बताया कि संदिग्धों में शामिल 13 लोगों को मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया गया है। लगातार डॉक्टरों द्वारा उनके स्वास्थ्य की देखभाल की जा रही है।