कन्या राशि में होनेवाली है मंगल-केतु की युति, इन राशियों को रहना होगा सावधान

वैदिक ज्योतिष में मंगल और केतु दोनों ही ग्रह, अग्नि तत्व और उग्र स्वभाव के माने जाते हैं। इन दोनों की युति शुभ नहीं मानी जाती है। 30 अक्टूबर को केतु का कन्या राशि में गोचर होनेवाला है। इस समय मंगल देव भी इसी राशि में होंगे। बुध की राशि में मंगल सहज नहीं रहते, क्योंकि ये उनके शत्रु की राशि है। ऐसे में केतु के साथ युति बहुत ही विपरीत परिणाम दे सकती है। सामान्य रूप से मंगल और केतु की युति अर्थव्यवस्था और रोजगार के संबंध में बहुत अच्छी नहीं मानी जाती है। इसके अलावा बिना सोचे-समझे कुछ करने की आशंका बढ़ जाती है।

क्यों अशुभ है मंगल-केतु की युति?

मंगल देव ऊर्जा, उत्साह और कर्म का प्रतिनिधित्व करते हैं। जिनका मंगल प्रबल होता है, वे साहसिक कदम उठाने से नहीं हिचकते। मंगल के प्रभाव से लड़ाई-झगड़े या जोश में दुर्घटना आदि के योग बनते हैं। वहीं केतु धड़ का प्रतिनिधित्व करता है, जो बिना दिमाग लगाये फौरन काम करने की इच्छा बढ़ाता है। दोनों ही अग्नि तत्व के ग्रह हैं इसलिए इनके साथ होने से जातकों में उग्रता बढ़ जाती है। इस उग्रता में बिना सोचे-समझे कुछ कदम उठाने के कई गंभीर परिणाम हो सकते हैं। इसलिए मंगल और केतु की युति को अच्छा नहीं माना जाता। आइये जानते हैं कि किन राशियों को विशेष सावधानी बरतनी चाहिए।

मिथुन राशि

केतु और मंगल की युति आपके चतुर्थ भाव में होनेवाली है। इनकी युति से आपकी बुद्धि सही दिशा में काम नहीं करेगी और बिना सोचे-समझे फैसला लेने की प्रवृत्ति बढ़ जाएगी। बुध के प्रभाव से आपका स्वभाव कोमल होगा और बुद्धि तीव्र। लेकिन केतु मतिभ्रम पैदा करता है और फौरन निर्णय लेने को उकसाता है। ऐसे में भूमिस संपत्ति, वाहन या घर-परिवार से जुड़े फैसले लेने से बचें, वरना भारी नुकसान हो सकता है। माता के स्वास्थ्य को लेकर विशेष सावधानी बरतें।

धनु राशि

आपकी राशि के दसवें भाव में मंगल और केतु की युति हो रही है। रोजगार की दृष्टि से ये शुभ नहीं है। कार्यक्षेत्र में विवाद हो सकता है और आप मामूली बात पर नौकरी छोड़ने का फैसला कर सकते हैं। सहयोगियों से भी विवाद होने की आशंका है। व्यवसाय में कर्मचारियों या ग्रहकों से लड़ाई-झगड़ा हो सकता है। बिना सोचे-समझे निवेश का फैसला ना लें। नुकसान होने की संभावना बन सकती है।

कुंभ राशि

आपके अष्टम भाव में मंगल और केतु की युति हो रही है। इस अवधि में दुर्घटना के योग बन रहे हैं। अगर अष्टमेश बली हुआ, तो ज्यादा नुकसान हो सकता है। इस अवधि में व्यर्थ के व्यय बढ़ेंगे और तंत्र-मंत्र या गूढ़ विद्याओं को सीखने की प्रवृत्ति बढ़ेगी। इस अवधि में कारोबार में भी नुकसान हो सकता है। तेज वाहन चलाने से बचें और किसी तरह के जुए, सट्टे, लॉटरी आदि से दूर रहें।

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