सरकार से बातचीत के लिए माओवादियों ने सामने रखी शर्तें, कहा “सरकार 6 माह तक सशस्त्र बलों को कैम्पों तक करे सीमित”

बस्तर: छत्तीसगढ़ में सरकार बनने के बाद गृहमंत्री विजय शर्मा की एक बड़ी पहल सामने आई थी। उन्होंने प्रदेश भर से नक्सल उन्मूलन के लिए शांतिवार्ता का प्रस्ताव नक्सलियों के सामने रखा था। उन्होंने यहां तक कह दिया था कि अगर नक्सली नेता चाहे तो वह वीडियो कॉल पर भी उसने जुड़कर बात कर सकते हैं। हालाँकि तब नक्सलियों ने इस पूरे प्रस्ताव पर कोई खास दिलचस्पी नहीं दिखाई और उलटे बस्तर में जमकर उत्पात मचाया।

एक तरफ सरकार उनसे शांतिवार्ता का प्रयास करती रही तो दूसरी तरफ नक्सली लगातार सुरक्षाबल और आम लोगों को निशाने पर लेते रहे। नक्सलियों ने इस दौरान कई भाजपा के स्थानीय नेताओं की भी हत्या कर दी। सरकर की तरफ से इन घटनाओं के बाद बैक फायर हुआ और फिर ताबड़तोड़ कार्रवाई की गई। इसी दौर में पुलिस ने नक्सलियों की राजधानी कहे जाने वाले हिड़मा के गाँव पूवर्ती में भी डेरा जमा लिया, यहाँ कैम्प की स्थापना करने में ऐतिहासिक कामयाबी हासिल कर ली। जाहिर हैं नक्सलियों के लिए पुलिस की यह कामयाबी सबसे बड़ा झटका रहा।

प्रवक्ता विकल्प ने जारी किया बयान

वही अब खुद पर कार्रवाई बढ़ता देख नक्सली दबाव महसूस करने लगे हैं। उनकी तरफ से सरकार के प्रस्ताव पर जवाब आया हैं। माओवादी प्रवक्ता विकल्प ने सरकार से बातचीत के लिए शर्तें सामने रखी हैं। डीकेएसजेसी प्रवक्ता विकल्प की ओर से जारी बयान में कहा गया हैं कि वह सरकार से बातचीत के लिए तैयार हैं बशर्ते राज्य की सरकार 6 माह तक सशस्त्र बलों को कैम्पों तक सीमित करे। नए कैंप स्थापित ना किए जाए, झूठी मुठभेड़ बंद किया जाएँ।

नक्सलियों की दण्डकारण्य स्पेशल ज़ोनल कमेटी के प्रवक्ता विकल्प ने बयान जारी करते हुए कहा हैं कि अनुकूल वातावरण निर्मित होने की स्थिति में ही वे वार्ता के लिए आगे आएंगे। विकल्प ने यह भी दावा किया हैं कि सरकार वार्ता पर उनके बयान का सीधा जवाब नहीं दे रही हैं। ऐसे में अब देखना होगा कि सरकार का माओ नेता के इस सशर्त प्रस्ताव पर अगला कदम क्या होगा?

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