Siyaram Baba : मध्यप्रदेश के निमाड़ क्षेत्र के महान संत परम पूज्य सियाराम बाबा जी ने बुधवार को 110 साल की उम्र में देह त्याग दिया है। उनके निधन से पूरे क्षेत्र में शोक की लहर दौड़ गई है। बाबा के अंतिम दर्शन के लिए आज लोगों का हुजूम उमड़ पड़ा। खुद सीएम डॉ मोहन यादव खरगोन पहुंचकर उन्हें श्रद्धांजलि दी। संत सियाराम बाबा का आश्रम खरगोन जिले के भट्टियांन में है, जहां वे नर्मदा किनारे तपस्या करते थे। विगत कई वर्षों से नर्मदा किनारे तपस्या कर रहे संत सियाराम बाबा अपनी योग साधना और अलग-अलग चमत्कारों के लिए जनमानस के बीच काफी प्रसिद्ध थे।
निजी अस्पताल में कराया गया था भर्ती
संत सियाराम बाबा को कुछ दिन पूर्व निमोनिया के चलते सनावद के एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया था। उनकी इच्छा के मुताबिक वहां से डिस्चार्ज होने के बाद वे कसरावद तहसील के अंतर्गत भट्टयांन स्थित आश्रम में लौट आये थे। मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव के निर्देश पर मेडिकल कॉलेज इंदौर की टीम ने उनके स्वास्थ्य का परीक्षण कर उपचार का प्रोटोकॉल निर्धारित किया था। इसके अलावा डॉक्टर यादव निरंतर उनके स्वास्थ्य की जानकारी ले रहे थे। आज डॉक्टर यादव का उनके दर्शन करने आश्रम आने का कार्यक्रम भी था, लेकिन इसके पूर्व ही बाबा ने देह त्याग दी। इसके बाद सीएम बाबा के अंतिम दर्शन करने खरगोन उनके आश्रम पहुंचे।
एक पैर पर खड़ा रहकर की थी तपस्या
उनके बारे में बताया जाता है कि वह 12 वर्ष तक एक पैर पर खड़े रहकर उन्होंने तपस्या की थी। सभी मौसमों में लंगोट ही धारण करने वाले सियाराम बाबा अपना सभी काम खुद ही करते थे और भोजन भी स्वयं पकाते थे।
कभी केतली में चाय नहीं होती थी खत्म
संत सियाराम बाबा आश्रम में आने वाले भक्तों को अपने हाथों से चाय पिलाते थे। ऐसा कहा जाता है कि, सियाराम बाबा की केतली में चाय कभी खत्म नहीं होती।
दान में लेते थे बस 10 रुपए
सेवादारों के मुताबिक बाबा हनुमान जी के परम भक्त थे। वे दान स्वरूप ज्यादातर 10 रुपए ही लेते थे। इस धन राशि को नर्मदा घाटों की मरम्मत और विभिन्न धार्मिक संस्थाओं के उन्नयन में प्रदान कर देते थे। ज्यादा शिक्षित नहीं होने के बावजूद वह लगातार रामचरितमानस का पाठ करते रहते थे। आने वाले भक्तों को वे आध्यात्मिक मार्गदर्शन देकर सकारात्मक ऊर्जा से ओत प्रोत कर देते थे।
बिना माचिस के दीप प्रज्वलित करते आए थे नजर
दरअसल कुछ दिनों पहले सियाराम बाबा का एक वीडियो भी तेजी से वायरल हुआ था, जिसमें वह बिना माचिस के दीप प्रज्वलित करते नजर आ रहे थे। ऐसा कहा जाता है कि, बाबा ने कई सालों तक खड़े होकर तपस्या की थी। इतना ही नहीं, योग साधना के दम पर मौसम अनुरूप उन्होंने अपने आप को ढाल लिया था।
उत्तराधिकारी कौन होगा?
आज उनके निधन की खबर सुनते ही भक्तों में शोक की लहर दौड़ पड़ी। वह बड़ी संख्या में उनके आश्रम पहुंचे और अंतिम दर्शन कर उन्हें श्रद्धांजलि दी। बाबा ने अपना उत्तराधिकारी फिलहाल किसे घोषित किया ,यह स्पष्ट नहीं है।