रायगढ़: आखिरकार 18 साल पुराने निर्माण में ली गई भूमि का मुआवजा देने में खरसिया एसडीएम की नानुकुर काम नहीं आई। अदालत के आदेश पर कलेक्टर ने पीडब्ल्यूडी को पत्र लिखकर आपसी सहमति से क्रय नीति वाली प्रक्रिया प्रारंभ करने को कहा है। भूमि अधिग्रहण में कई तरह की गलतियां होती हैं जिन्हें समय पर ठीक करने के बजाय टाला जाता है।
सड़क निर्माण के लिए किया गया था भूअर्जन
खरसिया का एक मामला तो ऐसा है जिसमें 48 सालों से भूअर्जन को टाला गया। रोड बनाने के लिए भूमिस्वामियों की जमीन ले ली गई लेकिन मुआवजा नहीं मिला। यह प्रकरण अब खरसिया अनुविभागीय अधिकारी कार्यालय के लिए परेशानी का सबब बन गया है। विष्णु प्रसाद शर्मा, विजय शर्मा समेत करीब दर्जन भर भूमिस्वामियों ने अपनी जमीन के बदले मुआवजा मांगने कई बार एसडीएम को अर्जी दी। लेकिन 48 सालों से मामले का लटकाकर रखा गया था। अंतत: हाईकोर्ट में अपील की गई जहां से राहत मिली।
18 साल से मुआवजे के भटके भूस्वामी
2005 का प्रकरण है जिसमें 2006 में अवार्ड पारित हुआ था। बाम्हनपाली से रेलवे गोदाम खरसिया तक बायपास रोड निर्माण में इनकी जमीनों का मुआवजा नहीं मिला था। अदालत ने 9 जनवरी 2023 को कलेक्टर और एसडीएम को आदेश दिया था कि वे तीन महीने में आवेदक की मांग पर निर्णय लें। विधि अनुसार मुआवजा निर्धारण करने का आदेश दिया गया था। अब कलेक्टर के आदेश पर ईई पीडब्ल्यूडी को पत्र जारी किया गया है। इसमें कहा गया है कि जल्द से जल्द भूअर्जन में आपसी सहमति से क्रय की प्रक्रिया विधिवत शुरू की जाए।
एसडीएम और तहसीलदार के रिपोर्ट अलग
इस मामले में एसडीएम खरसिया और तहसीलदार की रिपोर्ट में अंतर मिला था। तहसीलदार ने हल्का पटवारी के प्रतिवेदन के आधार पर माना था कि उक्त भूमि से 80 फुट की बायपास सडक़ गुजरी है। तहसीलदार खरसिया का यह आदेश 40 अक्टूबर 2022 को दिया गया। जबकि पूर्व एसडीएम खरसिया ने 40 जनवरी 2023 को एक आवेदक को लिखित में कहा कि ठाकुरदिया से होकर गुजरी बायपास सऊक़ में प्रभावित भूमि का मुआवजा राशि इसलिए नहीं मिली क्योंकि जमीन प्रभावित ही नहीं हुई। सडक़ निर्माण के समय पारित अवार्ड में यह जमीन प्रभावित नहीं हुई।