वास्तु शास्त्र घर में कई बदलावों का कारण बनता है। घर में जो ऊर्जा का प्रवाह होता है, वो वास्तु के अनुसार प्रभावित होता है। यह घर में सकारात्मक वातावरण प्रदान करने में सहायता करता है। वहीं, वास्तु के गलत नियमों से नकारात्मक ऊर्जा में वृद्धि होती है। ऐसे ही नियम घर के बाथरूम और टॉयलेट का एक साथ होना है। दरअसल, आजकल कई घरों में टॉयलेट और नहाने का स्थान एक साथ होता है। ऐसे में कुछ वास्तु नियमों के बारे में पता होना चाहिए। जिससे कोई दुष्प्रभाव न हो।
अगर आपके घर में टॉयलेट और बाथरूम एक साथ हैं तो प्रवेश द्वार उत्तरी दीवार पर होना चाहिए। दरवाजा दक्षिण-पश्चिम दिशा में नहीं होना चाहिए। अगर इस दिशा में वॉशरूम पहले से बना हुआ है। ये बेडरूम से जुड़ा है। ऐसे में स्थान पर परदा लगाकर रखें। जिससे कमरे में नकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह नहीं होगा। वहीं, जब भी बाथरूम का इस्तेमाल न करें तो दरवाजा बंद करके रखें।
घर में बाथरूम और टायलेट उत्तर-पश्चिम, उत्तर या उत्तर-पूर्व दिशा में होना चाहिए। इन दिशाओं का संबंध जल और स्वच्छता से हैं। बाथरूम और टॉयलेट घर की दक्षिण या दक्षिण-पश्चिम दिशा में नहीं होने चाहिए। ये दिशा अग्नि और गर्मी से जुड़ी है जो अशुभ मानी जाती है। वहीं, बाथरूम और टॉयलेट घर के मध्य में नहीं होना चाहिए।
सीढ़ियों को निगेटिव एनर्जी का स्त्रोत माना गया है। सीढ़ियों के नीचे बाथरूम और वॉशरूम होने से घर में नकारात्मक ऊर्जा बढ़तू है। बाथरूम और टॉयलेट का दरवाजा बाहर की ओर खुलना चाहिए।
अगर आपके घर में बाथरूम और टॉयलेट जुड़े हुए हैं, तो किसी परदे या पार्टीशन से अलग कर दें। इससे घर में नकारात्मक प्रभावों को कम किया जा सकता है।