‘लोगों की पहचान और सरकार द्वारा इसकी मान्यता, संसाधनों के इस्तेमाल के लिए बेहद जरूरी’, सीजेआई का बयान

नई दिल्ली : भारत के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने शनिवार को एक कार्यक्रम के दौरान कहा कि किसी व्यक्ति की पहचान और सरकार द्वारा उसकी मान्यता लोगों को मिलने वाले संसाधनों और उनकी शिकायतों को व्यक्त करने और लोगों को अधिकार देने के लिए बेहद अहम है। मुख्य न्यायाधीश ने 36वें LAWASIA सम्मेलन को वर्चुअली संबोधित करते हुए ये बात कही। बता दें कि LAWASIA वकीलों, जजों, न्यायविदों और कानूनी संगठनों का क्षेत्रीय संगठन है, जो एशिया प्रशांत क्षेत्र में कानूनी प्रक्रिया की बेहतरी और हितों के लिए काम करता है।

क्या बोले सीजेआई

अपने संबोधन में सीजेआई ने कहा कि स्वतंत्रता खुद फैसले लेने और अपना जीवन बदलने की क्षमता है और व्यक्ति को पहचान उसके फैसलों से मिलती है। हमें लगातार लोगों के जीवन के अवसरों को सीमित करने या विस्तारित करने के इस अंतर्संबंध और इसमें राज्य की भूमिका का सामना करना पड़ता है।

मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि परंपरागत रूप से, स्वतंत्रता को किसी व्यक्ति के चुनाव करने के अधिकार में राज्य के हस्तक्षेप ना करने के रूप में समझा जाता है। हालांकि, समकालीन विद्वान इस निष्कर्ष पर पहुंचे हैं कि सामाजिक पूर्वाग्रहों को बनाए रखने में राज्य की भूमिका को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है।

मुख्य न्यायाधीश ने डिजिटल युग और इसकी चुनौतियों पर भी बात की। उन्होंने कहा कि हम एआई तकनीक की नैतिकता पर उठ रहे सवालों को देख रहे हैं और एआई और व्यक्तित्व के बीच एक जटिल अंतरसंबंध है।

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