सावन मास भगवान शिव का सबसे पसंदीदा माह है। इस महीने में शिव के भक्त पूजा-आराधना करने से साथ गंगा नदी या किसी अन्य पवित्र नदी का जल लाने के लिए कांवड़ यात्रा निकालते हैं। सावन माह में गंगा नदी के पवित्र जल से भगवान भोलेनाथ का अभिषेक किया जाता है।
गौरतलब है कि सावन मास की शुरुआत 4 जुलाई से हो रही है और इस बार इस महीने की अवधि 59 दिनों की होगी। वहीं सावन माह की पहली मासिक शिवरात्रि 15 जुलाई को और दूसरी शिवरात्रि 14 अगस्त को है। यहां हम आपको कांवड़ यात्रा के इतिहास और पहले कांवड़ यात्री के बारे में जानकारी दे रहे हैं –
जानें कौन था संसार का पहला कांवड़ यात्री
धार्मिक मान्यता के अनुसार भगवान शिव ने समुद्र मंथन में निकले विष को पी लिया था और इस जहर के प्रभाव से भगवान भोलेनाथ असहज अवस्था में पहुंच गए थे। जहर के कारण उत्पन्न हुई पीड़ा को कम करने के लिए उनके परमभक्त रावण ने कांवड़ में गंगा जल भरकर कई बरसों तक महादेव का जलाभिषेक किया था, जिसके बाद भगवान शिव जहर के नकारात्मक प्रभावों से मुक्त हो सके थे। पौराणिक मान्यता है कि संसार का पहला कांवड़ यात्री रावण को ही माना जाता है और रावण ने ही सबसे पहले कांवड़ यात्रा की शुरुआत की थी।
जानें सावन मास में कब है सोमवार
सावन मास में सोमवार के दिन भगवान् शिव की पूजा करने का विशेष विधान है। हिंदू पंचांग के अनुसार इस बार सावन मास में 8 सोमवार होंगे। क्योंकि सावन माह 30 के स्थान पर 59 दिनों का होने वाला है, क्योंकि इस बार श्रावण मास में अधिक मास पड़ रहा है जानें सावन माह में कब-कब है सोमवार –
पहला सोमवार – 10 जुलाई
दूसरा सोमवार – 17 जुलाई
तीसरा सोमवार- 24 जुलाई
चौथा सोमवार – 31 जुलाई
पांचवा सोमवार – 7 अगस्त
छठवां सोमवार – 14 अगस्त
7वां सोमवार – 21 अगस्त
आठवां सोमवार – 28 अगस्त