इंडोनेशिया : हिंदू धर्म में त्योहारों का बहुत महत्व है। चाहे वह हिंदू भारत में हो या दुनिया के अन्य देश में। इंडोनेशिया में हिंदू एक जीवित ज्वालामुखी माउंट ब्रोमो के पहाड़ पर चढ़कर उत्सव मनाते हैं। जून के पहले सप्ताह में इस पर्वत पर हिंदू एकत्रित होते हैं। ऊंचे पहाड़ पर आकर Yadnya Kasada पर्व मनाने की परंपरा कई सदियों से चली आ रही है। भक्त पहाड़ पर आते हैं और जलते हुए ज्वालामुखी में जीवित जानवरों, फलों और फसलों को चढ़ाते हैं।
हर साल इकट्ठा होते हैं श्रद्धालुओं
5 जून (सोमवार) को हजारों हिंदू श्रद्धालुओं ने ब्रोमो पर्वत की चढ़ाई शुरू की। उनकी पीठ पर बकरियां, मुर्गियां और सब्जियां बंधी थी। हर वर्ष टेंगर जनजाति के लोग ज्वालामुखी की तलहटी में इकट्ठा होते हैं। वहां से ब्रोमो पर्वत की चढ़ाई शुरू होती है।
ज्वालामुखी को चढ़ाया जाता है प्रसाद
माउंट ब्रोमो की चोटी सूर्योदय देखने के लिए प्रसिद्ध है। जावा के पूर्वी प्रांत की टेंगर जनजाति और अन्य स्थानीय हिंदू भक्त देवता को प्रसन्न करने के लिए प्रसाद के रूप में अपने साथ लाई गई चीजों को ज्वालामुखी में चढ़ाते हैं।
श्रीगणेश की प्राचीन मूर्ति है स्थापित
ज्वालामुखी के ऊपर भगवान गणेश की एक मूर्ति है। टेंगर जनजाति हिंदू श्रीगणेश की पूजा करते हैं। उनका मानना है कि महादेव पुत्र सदियों से उनकी रक्षा करते आ रहे हैं।
भगवान ब्रह्मा के नाम पर रखा गया नाम
माना जाता है कि माउंट ब्रोमो का नाम भगवान ब्रह्मा के नाम पर रखा गया है। यह ज्वालामुखी आखिरी बार जुलाई 2019 को फटा था। इससे आसपास के इलाकों में भूकंप के झटके महसूस किए गए थे।
बांस की जालियां बांधकर सामान को पकड़ते हैं
कई गैर-टेंगर ग्रामीण त्योहार के दौरान इस पहाड़ पर आते हैं। वह बांस की जालियां बांधकर ज्वालामुखी में फेंकी गई वस्तुओं को पकड़ने की कोशिश करते हैं, ताकि सामान बर्बाद न हो। बता दें इंडोनेशिया में 120 से अधिक सक्रिय ज्वालामुखी है।
15वीं शताब्दी से मनाया जा रहा त्योहार
यह महोत्सव कोरोना महामारी के बाद पहली बार आयोजित हो रहा है। पिछले साल सरकार ने बहुत कम भक्तों को इस स्थान पर जाने की अनुमति दी थी। किंवदंती है कि माउंट ब्रोमो पर होने वाला यह त्योहार 15वीं शताब्दी से मनाया जा रहा है। यह प्रथा मजापहित साम्राज्य (Majapahit Kingdom) से शुरू हुई थी। यह साम्राज्य हिंदू और बौद्ध संस्कृति का मिश्रण था।