कर्नाटक में चला हिमाचल मॉडल, पुरानी पेंशन और लोकल मुद्दों ने कांग्रेस को दिलाई जीत

नई दिल्ली : कर्नाटक विधानसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी ने ‘हिमाचल प्रदेश’ मॉडल दोहरा दिया है। चुनाव प्रचार की शुरुआत से लेकर वोटिंग तक कांग्रेस पार्टी ने स्थानीय मुद्दों पर फोकस रखा। इनमें बेरोजगारी, भ्रष्टाचार पर भाजपा को 40 प्रतिशत वाली सरकार कहना, पुरानी पेंशन बहाली का वादा और स्थानीय मुद्दे, कांग्रेस ने आखिरी क्षण तक इन बातों से चुनाव प्रचार को भटकने नहीं दिया।

कर्नाटक स्टेट गवर्नमेंट एम्पलाई एसोसिएशन के अध्यक्ष सीएस शादाक्षरी के मुताबिक, मौजूदा भाजपा सरकार ने सरकारी कर्मियों को निराश किया है। लगभग पांच लाख कर्मियों, पेंशनरों और उनके परिजनों को मिलाकर यह संख्या 40 लाख से ज्यादा हो जाती है। भाजपा सरकार को इस चुनाव में सरकारी कर्मियों की नाराजगी झेलनी पड़ी है।

अंतरिम राहत से संतुष्ट नहीं हुए कर्मी, बोले ओपीएस जरुरी …

सीएस शादाक्षरी ने कर्नाटक चुनाव से पहले भाजपा सरकार के समक्ष तीन बड़ी मांगें रखी थी। इनमें सातवें वेतन आयोग की रिपोर्ट को लागू करना, पुरानी पेंशन बहाली और 40 प्रतिशत फिटमेंट सुविधाएं, शामिल हैं। मार्च में जब सरकारी कर्मियों ने हड़ताल शुरु की तो कुछ ही घंटे बाद मुख्यमंत्री बसवराज सोमप्पा बोम्मई ने सरकारी कर्मियों को अंतरिम राहत के तौर पर उनके मूल वेतन में 17 प्रतिशत की वृद्धि करने की घोषणा कर दी।

इसके बाद हड़ताल तो वापस ले ली गई, लेकिन कर्मचारी पुरानी पेंशन लागू करने को लेकर अड़े रहे। मुख्यमंत्री बोम्मई ने चुनाव से पहले कहा कि सरकार ओपीएस पर विचार कर रही है। इसके लिए एडिशनल चीफ सेक्रेटरी की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय कमेटी का गठन किया गया है। तीन सदस्यों की इस कमेटी को राजस्थान भेजा गया था। वहां पर इस कमेटी ने पुरानी पेंशन के क्रियान्वयन का अध्ययन किया था।

कमेटी गठित करने का क्या फायदा होगा …

एनपीएस के खिलाफ गठित नेशनल ज्वाइंट काउंसिल ऑफ एक्सन (एनजेसीए) के वरिष्ठ सदस्य और एआईडीईएफ के महासचिव सी. श्रीकुमार ने कहा, इस चुनाव में भाजपा को सरकारी कर्मियों की नाराजगी का खामियाजा भुगतना पड़ा है। कमेटी गठित करने का क्या फायदा होगा। सरकारी कर्मचारी जानते हैं कि जब प्रधानमंत्री मोदी, पुरानी पेंशन के खिलाफ सार्वजनिक बयान दे रहे हैं तो इन कमेटियों का कोई लाभ नहीं है। केंद्र सरकार ने भी एनपीएस में सुधार को लेकर कमेटी बनाई है। हरियाणा और  कर्नाटक सरकार ने भी कमेटी गठित की है। श्रीकुमार ने कहा, लोकतंत्र में मत पत्र सबसे शक्तिशाली हथियार है। हर राजनीतिक दल, जनमत का सम्मान करता है।

10 करोड़ लोगों की उपेक्षा नहीं कर सकते …

बतौर श्रीकुमार, देश में अगर केंद्र एवं राज्यों के सभी सरकारी कर्मचारियों, पेंशनरों, उनके परिवार और रिश्तेदारों को मिलाकर वह संख्या लगभग 10 करोड़ तक पहुंच जाती है। यह यह एक छोटी संख्या नहीं है। क्या कोई राजनीतिक दल 10 करोड़ की संख्या वाले लोगों के समूह की उपेक्षा करने का साहस कर सकता है। भाजपा सहित दूसरी राजनीतिक पार्टियों को एनपीएस पर अपना मन बनाना होगा। उन्हें खुले तौर पर सामने आना पड़ेगा। एनपीएस को खत्म करने की घोषणा करनी होगी। पंजाब, हिमाचल प्रदेश, छत्तीसगढ़, हिमाचल प्रदेश और राजस्थान सरकार ने पुरानी पेंशन योजना बहाल की है। 2024 के लोकसभा चुनाव में भी पुरानी पेंशन का मुद्दा, अहम रहेगा।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button