चैतन्य बघेल के मामले में हाईकोर्ट में दो हफ्ते के लिए टली सुनवाई, कोर्ट ने पीने के पानी को लेकर जल अधीक्षक को दिया निर्देश

बिलासपुर : छत्तीसगढ़ में 3200 करोड़ के शराब घोटाला मामले में पूर्व सीएम भूपेश बघेल के बेटे चैतन्य बघेल को हाई कोर्ट से राहत नहीं मिली. आज जस्टिस अरविंद वर्मा के सिंगल बेंच में हाई कोर्ट में सुनवाई हुई. जिसमें ईडी की ओर से जवाब देने के लिए समय मांगा गया, जिसके बाद अगले दो हफ्तों के लिए सुनवाई टल गई. याचिकाकर्ता पक्ष की ओर से कहा गया था कि चैतन्य को साफ पीने का पानी नहीं मिल रहा है, कोर्ट ने इस संदर्भ में जेल अधीक्षक को जरूरी दिशा निर्देश दिया है.

चैतन्य बघेल के मामले में हाईकोर्ट में दो हफ्ते के लिए टली सुनवाई

दरअसल ईडी ने छत्तीसगढ़ शराब घोटाले  से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में 18 जुलाई को भिलाई 3 स्थित बघेल निवास से चैतन्य बघेल को उनके जन्मदिन के दिन ही गिरफ्तार किया था. इसके बाद चैतन्य बघेल ने गिरफ्तारी के खिलाफ पहले सुप्रीम कोर्ट गए थे, जहां से मिले निर्देश के बाद उन्होंने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी. जिस मामले में आज सुनवाई हुई.

कैसे फंस गए चैतन्य?

छत्तीसगढ़ शराब घोटाला मामले में पहले ही प्रदेश के पूर्व आबकारी मंत्री और वर्तमान में कोंटा के विधायक कवासी लखमा गिरफ्तार हो चुके हैं. वहीं, रायपुर के पूर्व मेयर ऐजाज ढेबर के भाई अनवर ढेबर, रिटायर्ड आईएएस अधिकारी अनिल टूटेजा और आबकारी विभाग के पूर्व एमडी एपी त्रिपाठी के खिलाफ भी एक्शन लिया चुका है. माना जा रहा है कि शराब घोटाले में जुड़े रकम को चैतन्य बघेल और उनके करीबियों की संपत्ति में इंवेस्ट किया गया है.

छत्तीसगढ़ का शराब घोटाला

छत्तीसगढ़ में जब कांग्रेस की सरकार थी यानी साल 2018 से 2023 के बीच प्रदेश में करीब 3200 करोड़ से अधिक का शराब घोटाला हुआ है. इसे लेकर ईओडब्लू ने चार्जशीट में जानकारी दी है कि इस घोटाले के पैसे से 11 आरोपी अधिकारियों ने अपने रिश्तेदारों के नाम करोडों की जमीन और दौलत भी खरीदी है. सबसे ज्यादा हैरान करने वाली बात ये है कि अभी तक ईओडब्लू के मुताबिक इन्होंने पूरे शराब घोटाले में करीब 61 लाख अवैध पेटी शराब बिकवाकर 2174 करोड़ रुपए की चपत लगाई थी. लेकिन अब जब इन अधिकारियों के खिलाफ चार्जशीट पेश की गई तो पता चला कि यह घोटाला 2174 नहीं बल्कि 3200 करोड़ से अधिक का है.

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