पंचांगीय गणना के अनुसार नक्षत्रों का राजा पुष्य 22 फरवरी गुरुवार को दिनभर मौजूद रहेगा। ज्योतिष शास्त्र में गुरु पुष्य नक्षत्र को महामुहूर्त की संज्ञा दी गई है। इस दिन सोना, चांदी, भूमि, भवन, वाहन, इलेक्ट्रानिक्स उत्पााद के रूप में की गई खुशियों की खरीदी स्थायी समृद्धि प्रदान करती है।
सर्वश्रेष्ठ दिन
गुरु पुष्य नक्षत्र विवाह, गृह प्रवेश, अन्नप्राशन, नामकरण आदि मांगलिक कार्य तथा नए प्रतिष्ठान के शुभारंभ के लिए भी सर्वश्रेष्ठ दिन है। ज्योतिषियों के अनुसार गुरु पुष्य की साक्षी में शुभ कार्य करने के लिए मुहूर्त देखने की भी आवश्यकता नहीं है, यह स्वयं सिद्ध मुहूर्त है।
फरवरी माह में गुरुपुष्य नक्षत्र का आगमन दूसरी बार
ज्योतिषाचार्य पं.अमर डब्बावाला के अनुसार फरवरी माह में गुरुपुष्य नक्षत्र का आगमन दूसरी बार हो रहा है। इससे पहले गुरुपुष्य का संयोग 10 फरवरी को माघ शुक्ल प्रतिपदा पर बना था। इसी शुभ नक्षत्र की साक्षी में गुप्त नवरात्र का आरंभ हुआ था। 22 फरवरी को पुष्य नक्षत्र की साक्षी दिनभर रहेगी।
कई वर्षों में आता है अवसर
ऐसा अवसर सालों में आता है, जब एक माह में दो बार गुरुपुष्य का संयोग बनता है। गुरुवार के दिन पुष्य नक्षत्र सर्वश्रेष्ठ फल प्रदान करता है। क्यों की पुष्य नक्षत्र के स्वामी बृहस्पति व उप स्वामी शनि हैं। इनकी साक्षी में किया गया कार्य शुभ फल व स्थायी समृद्धि प्रदान करता है।
शास्त्रीय मान्यता में इस दिन सोने, चांदी के आभूषण व सिक्के, नया घर, कृषिभूमि, घर बनाने के लिए भूखंड, दो व चार पहिया वाहन, मशीनरी, इलेक्ट्रानिक्स उत्पाद आदि खरीदना विशेष शुभ माना जाता है। जिन परिवारों में आने वाले दिनों में विवाह समारोह का आयोजन होना है, वें इस दिन से खरीदी की शुरुआत कर सकते हैं।