देवी आराधना का पर्व माघी गुप्त नवरात्र 10 फरवरी से आरंभ होगा। इस बार गुप्त नवरात्री पूरे नौ दिन की रहेगी। 18 फरवरी को नवरात्र की पूर्णाहुति होगी। गुप्त नवरात्र में मां काली और दस महाविद्या की पूजा गुप्त रूप से की जाती है। साधक तंत्र, मंत्र, यंत्र की सिद्धि के लिए गुप्त साधना करेंगे। शक्तिपीठ हरसिद्धि मंदिर में गोपनीय अनुष्ठान होंगे। प्रतिदिन शाम को दीपमालिका भी प्रज्वलित की जाएगी।
वर्षभर में चार नवरात्र विशेष
ज्योतिषाचार्य पं.अमर डब्बावाला के अनुसार शक्ति उपासना के लिए वर्षभर में चार नवरात्र विशेष माने जाते हैं। इनमें दो गुप्त तथा दो प्राकट्य नवरात्र माने गए हैं। चैत्र व अश्विन के नवरात्र प्रकट तथा माघ व आषाढ़ के नवरात्र को गुप्त नवरात्र कहा जाता है। गुप्त नवरात्र में गोपनीय रूप से देवी की आराधना की जाती है। इस दौरान तांत्रिक, साधक तंत्र, मंत्र व यंत्र की सिद्धि के लिए गुप्त साधना करते हैं। वहीं सामान्य लोग मनोवांछित फल की प्राप्ति तथा संकटों से मुक्ति के लिए देवी दुर्गा की आराधना करते हैं। मान्यता है इस पूजा को जितना गुप्त रखा जाता है, उतनी जल्दी मनोकामना पूर्ण होती है।
उज्जैन की भूमि पर शीघ्र फलित होती है साधना
पृथ्वी के नाभि केंद्र पर स्थित उज्जैन में दक्षिणेश्वर महाकाल, शक्तिपीठ हरसिद्धि तथा भैरव पर्वत पर कालभैरव विराजित है। साधना की सिद्धि के लिए इन तीनों की साक्षी शीघ्र फल प्रदान करती है। गुप्त नवरात्र में दूरदराज से साधक महाकाल वन में साधना करने आते हैं।
देवी साधना के लिए यह स्थान विशेष
शक्ति साधना सिद्ध स्थान पर करने से साधक को निश्चित सफलता प्राप्त होती है। उज्जैन में शक्तिपीठ हरसिद्धि, सिद्धपीठ गढ़कालिका, चौसठ योगिनी, भूखी माता, नगरकोट, चामुंडा माता, बगलामुखी धाम देवी साधना के प्रमुख स्थान है। भक्त इन मंदिरों में काम्य अनुष्ठानों के अलावा देवी कृपा प्राप्त करने के लिए नित्य दर्शन करने भी आते हैं।