माघ माह की गणेश चतुर्थी 25 जनवरी को, पंचक और भद्रा के साए के बीच ये होगा शुभ मुहूर्त

सनातन धर्म में भगवान गणेश को सर्वप्रथम पूजनीय माना गया है। हिंदू पंचांग के मुताबिक माघ महीने के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को गणेश चतुर्थी का पर्व आने वाला है। इसे गणेश जयंती के रूप में मनाते हैं। देश के अलग-अलग हिस्सों में गणेश जयंती को माघी गणेशोत्सव, माघ विनायक चतुर्थी, वरद चतुर्थी और वरद तिल कुंद चतुर्थी के नाम से भी जाना जाता है। इस साल माघ माह में आने वाली गणेश चतुर्थी बुधवार 25 जनवरी को है और बुधवार का दिन भी भगवान गणेश का प्रिय माना जाता है। साथ ही बुधवार को ही रवि योग, शिव योग भी निर्मित हो रहा है।
गणेश जयंती 2023 पर पूजा का शुभ मुहूर्त
माघ माह के शुक्ल पक्ष की गणेश चतुर्थी तिथि 25 जनवरी को दोपहर 03.22 मिनट से आरंभ होगी और इस तिथि की समाप्ति 25 जनवरी, बुधवार को दोपहर 12.34 मिनट तक होगी। हालांकि उदया तिथि के अनुसार गणेश जयंती 25 जनवरी, बुधवार को है। ऐसे में गणेश चतुर्थी पर पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह 11.29 मिनट से दोपहर 12.34 मिनट तक रहेगा और बुधवार को ही रवि योग सुबह 06.44 मिनट से 08.05 मिनट तक रहेगा। परिघ योग 24 जनवरी को रात 9.36 मिनट से 25 जनवरी शाम 6.15 मिनट तक रहेगा। शिव योग 25 जनवरी शाम 6.15 मिनट से 26 जनवरी सुबह 10.28 मिनट तक रहेगा
भद्रा और पंचक का समय
गणेश जयंती पर भद्रा 25 जनवरी को सुबह 01.53 मिनट से शुरू हो जाएगी, जो दोपहर 12.34 तक है। वहीं पंचक भी 27 जनवरी को रहेगा। भद्रा में किसी भी प्रकार के शुभ कार्य करना अच्छा नहीं माना जाता है। हालांकि पंचक और भद्रा के दौरान पूजा पाठ किया जा सकता है।
गणेश जयंती पर ऐसे करें पूजा
सूर्योदय से पहले उठकर सभी कामों से निवृत्त होकर स्नान आदि कर लें।
साफ वस्त्र धारण करके व्रत का संकल्प लें और भगवान गणेश की पूजा आरंभ करें।
एक लकड़ी की चौकी में लाल या पीला रंग का वस्त्र बिछाकर भगवान गणेश की तस्वीर या मूर्ति स्थापित करें
जल से आचमन करने के बाद गणपति जी को फूल, माला, सिंदूर, हल्दी, गीला अक्षत आदि अर्पित कर दें।
भगवान गणेश को उनके पसंदीदा बूंदी के लड्डू, मोदक आदि का भोग लगाएं।
भोग लगाने के बाद घी का दीपक और धूप जलाकर विधिवत पूजा के साथ मंत्र, चालीसा, स्तोत्र आदि का पाठ कर लें।
आखिर में भगवान गणेश की आरती करें और किसी भी गलती के लिए माफी मांगे।