द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी 28 फरवरी को, इन चीजों के बगैर अधूरी होती है गणपति बप्पा की पूजा
हिंदू धर्म में भगवान गणेश को प्रथम पूजनीय माना जाता है। हिंदू पंचांग के अनुसार, फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी के रूप में मनाया जाता है। इस साल द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी 28 फरवरी को है।
इस दिन भगवान गणेश की पूजा पूरे विधि-विधान के साथ करने से भक्तों को जीवन में सुख, शांति और समृद्धि की प्राप्ति होती है।
पंडित मयंक जोशी के मुताबिक, भगवान गणेश, बुद्धि के स्वामी, सभी बाधाओं के निवारण के प्रतीक माने जाते हैं। ऐसे में संकष्टी चतुर्थी व्रत के दौरान कुछ बातों का विशेष ध्यान रखना चाहिए।
पूजा में इन चीजों को करें शामिल
पीला कपड़, चौकी, फूल, जनेऊ, लौंग, दीपक, दूध, मोदक, गंगाजल, जल, धूप, देसी घी, 11 या 21 तिल के लड्डू, फल, कलश, सुपारी।
द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी का पौराणिक महत्व
द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी का व्रत यदि साधक सच्चे मन से व्रत रखते हैं और गणपति बप्पा की पूजा-अर्चना करते हैं तो जीवन से सभी संकट दूर हो जाते हैं। एक धार्मिक मान्यता है कि इस दिन भगवान गणेश प्रसन्नचित मुद्रा में रहते हैं और उनकी पूजा करने से सभी इच्छाएं पूर्ण होती है।