आरक्षक को हाईकोर्ट से मिली राहत : आरक्षक के खिलाफ विभागीय जांच पर लगाई रोक

बिलासपुर। छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने पुलिस विभाग की रिट अपील खारिज करते हुए स्पष्ट कहा है कि समानता के अधिकार का उल्लंघन कर दुर्भावनावश विभागीय जांच नहीं की जा सकती। कोर्ट ने आदेश पारित करते हुए आरक्षक नरेंद्र यादव के विरुद्ध किसी भी प्रकार की विभागीय कार्रवाई न करने के निर्देश दिए।
गणतंत्र दिवस समारोह के दौरान सुरक्षा ड्यूटी में लापरवाही बरतने के आरोप में महासमुंद जिले के तीन पुलिसकर्मी अलेकसियूस मिंज (प्रधान आरक्षक), दीपक विदानी और नरेंद्र यादव ( दोनों आरक्षक) को पुलिस अधीक्षक, महासमुंद ने सेवा से बर्खास्त कर दिया था। तीनों ने इस बर्खास्तगी को हाईकोर्ट में चुनौती दी। सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने तीनों की बर्खास्तगी निरस्त कर पुनः बहाल करने का आदेश दिया। आदेश के पालन में मिंज और विदानी को तत्काल जॉइनिंग दे दी गई, लेकिन नरेंद्र यादव को जॉइनिंग नहीं दी गई, उल्टे उन्हीं आरोपों पर विभागीय जांच फिर से शुरू कर दी गई।
नरेंद्र यादव ने इसके खिलाफ अवमानना याचिका दायर की। इस दौरान पुलिस विभाग ने चीफ जस्टिस की डिवीजन बेंच में रिट अपील दाखिल की। मगर हाईकोर्ट ने विभाग की अपील को खारिज कर दिया और कहा कि समान आरोपों में भेदभाव कर जांच करना संविधान के समानता के अधिकार का उल्लंघन है। न्यायालय ने साफ निर्देश दिया कि याचिकाकर्ता नरेंद्र यादव के खिलाफ आगे किसी भी प्रकार की विभागीय जांच कार्रवाई नहीं की जाएगी।