अचानक स्टेट सायबर सेल पहुंचे मुख्यमंत्री मोहन यादव, पुलिस की पीठ थपथपाई; डिजिटल अरेस्ट को लेकर की बड़ी घोषणा
भोपाल। मुख्यमंत्री मोहन यादव मंगलवार दोपहर अचानक राजधानी के भदभदा इलाके में स्थित साइबर पुलिस मुख्यालय पहुंचे। यहां उन्होंने सायबर फ्रॉड के मामलों के लिए डीजीपी सुधीर सक्सेना और स्टेट सायबर के डीजी योगेश देशमुख से बात की। साथ ही उन्होंने दो दिन पहले साइबर पुलिस द्वारा डिजिटल अरेस्ट से बचाए गए दुबई के कारोबारी विवेक ओबेराय से फोन पर बात की। ओबेराय ने मुख्यमंत्री और सायबर पुलिस अफसरों का आभार जताया। साथ ही यह भी कहा कि पुलिस देवदूत बनकर मेरे पास पहुंची थी।
मुख्यमंत्री ने मीडिया को ब्रीफ करते हुए कहा कि पुलिस साइबर क्राइम रोकने के लिए लगातार प्रयास कर रही है, फिर भी ठग बहुत दुस्साहस दिखा रहे हैं। डिजिटल अरेस्ट से ओबेराय को छुड़ाने के दौरान ठग असली पुलिस से भी आईडी कार्ड मांग रहे थे। देश की पहली घटना है, जब कोई डिजिटल अरेस्ट हुआ हो और उसे लाइव बचाया गया हो। डिजिटल ठगी रोकने के लिए हमने प्रदेश के सभी थानों में साइबर डेस्क खोलने का निर्णय लिया गया है। साथ ही हर जिले में सायबर थाने स्थापित होंगे। उन्होंने प्रदेश की जनता को सतर्क रहने की भी सलाह दी और कहा कि डिजिटल अरेस्ट जैसी कोई प्रक्रिया नहीं है।
इस तरह के मामलों में तत्काल पुलिस को सूचित करें। सीएम ने सायबर पुलिस के अफसरों की तारीफ की और कहा कि डिजिटल अरेस्ट के मामले में पुलिस ने त्वरित रूप से लाइव एक्शन पर पीड़ित को रेस्क्यू किया। यह एमपी पुलिस के लिए गर्व की बात है।
एआई के दुरूपयोग से बचने को कहा
गौरतलब है कि सप्ताह भर पूर्व मुख्यमंत्री ने गृह विभाग की समीक्षा बैठक के दौरान कहा था कि प्रदेश की पुलिस को भविष्य के लिए तैयार रहने की आवश्यकता है। इसी तारतम्य में उन्होंने निर्देश दिए थे कि पुलिस द्वारा साइबर अपराधों की रोकथाम के लिए सूचना प्रौद्योगिकी की नवीन तकनीकों का उपयोग किया जाए। प्रत्येक थाने में साइबर डेस्क, हर जिले में साइबर थाना और राज्य स्तर पर कॉल सेंटर बनाया जाए।
स्टेट सायबर में विजिट के दौरान एक बार फिर सीएम ने कहा कि साइबर धोखाधड़ी से लोगों को बचाने के लिए सघन जागरूकता अभियान चलाया जाए। उन्होंने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) के दुरुपयोग से बचने के लिए पुलिस को सतर्क रहने के लिए कहा।