कांसा पीतल और तांबे से बूढ़ादेव की 71 फीट की प्रतिमा स्थापित करेगी छत्तीसगढ़िया क्रांति सेना

रायपुर: छत्तीसगढ़िया क्रांति सेना ने छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर स्थित बूढ़ातालाब में बूढ़ादेव स्थापना का महापर्व मनाने के लिए महाउद्दीम का आयोजन किया। इसमें प्रदेश के कई जिलों से लोग भारी संख्या में पहुंचे। इस दौरान संगठन ने विधानसभा चुनाव 2023 में भी दम-खम दिखाने का ऐलान किया। जरूरत पड़ने पर प्रत्याशी भी उतारने की बात कही।

छत्तीसगढ़िया क्रांति सेना विधानसभा चुनाव में उतारेगी प्रत्याशी

8 अप्रैल को कांसा अपर्ण दान (महाउद्दीम) कार्यक्रम का दूसरा चरण संपन्न हुआ। इससे पहले साल 2022 में अप्रैल माह में बूढ़ादेव के चबूतरे के लिए छत्तीसगढ़ के गांव से देव थानों की मिट्टी एकत्र की गई थी। अब बूढ़ादेव की प्रतिमा के लिए कांसा पीतल और तांबे का एकत्र किया जा रहा है। छत्तीसगढ़िया क्रांति सेना ने प्रदेश के कुलदेवता बूढ़ादेव को बूढ़ातालाब में स्थापित करने का संकल्प लिया है। इस क्रम में छत्तीसगढ़िया क्रांति सेना अपने पुरखा देव बूढ़ादेव की 71 फीट की प्रतिमा स्थापित करेगी।

इसी को लेकर के समाज ने बूढ़ातालाब में सभा आयोजित किया। इसमें प्रदेशभर से हजारों लोग शामिल हुए। कांसा, पीतल और तांबे के धातु को एक जगह रखकर बैगा की देख-रेख में परंपरागत तरीके से पूजा की गई। आदिम मान्यताओं के अनुसार, 12 मार्च के किसी भी उपज का पहला अधिकारी बूढ़ा देवयानी प्रकृति देवता को माना जाता है।

जानें बूढ़ावेद का इतिहास

बता दें कि 800 साल पहले राजा राय सिंह जगत ने बूढ़ादेव को मंदिर में स्थापित किया था। कहा जाता है कि रायपुर शहर का नाम भी राजा राय सिंह के नाम पर पड़ा है। बूढ़ा तालाब छत्तीसगढ़ के गौरवशाली इतिहास का साक्षी रहा है। इसके इर्द-गिर्द ही राजा राय सिंह ने अपनी प्रजा को बसाया था और उनके आस्था के अनुरूप कुलदेवता बूढ़ादेव की स्थापना की थी। समय के साथ बूढ़ादेव को भुला दिया गया। इसको फिर से शुरू करने छत्तीसगढ़िया क्रांति सेन ने बूढ़ादेव स्थापना के लिए महाउद्दीम की शुरुआत की है।

छत्तीसगढ़िया क्रांति सेना के प्रदेश अध्यक्ष अमित बघेल ने कहा कि हमारी मान्यताओं और पुरखों को मिटाने का कोई भी प्रयास सफल नहीं होने दिया जाएगा। इसकी रक्षा के लिए छत्तीसगढ़िया क्रांति के सेनानी प्रदेश भर में काम कर रहे हैं। उन्होंने विधानसभा चुनाव लड़ने के सवाल पर कहा कि यह संगठन गैर राजनीतिक मंच है पर जरूरत पड़ने पर चुनाव लड़ भी सकते हैं और लड़ा भी सकते हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button