ऑपरेशन ब्लैक फॉरेस्ट में 31 नक्सली ढेर, गृह मंत्री विजय शर्मा ने राहुल गांधी पर लगाया गंभीर आरोप

जगदलपुर। छत्तीसगढ़ में नक्सलवाद के खिलाफ सुरक्षा बलों का संघर्ष लगातार जारी है। बीजापुर और तेलंगाना सीमा पर स्थित कर्रेगुट्टा की पहाड़ियों में सुरक्षाबलों ने नक्सलियों के खिलाफ एक बड़ा अभियान चलाया है, जिसे ‘ऑपरेशन ब्लैक फॉरेस्ट’ नाम दिया गया। इस अभियान में अब तक 31 वर्दीधारी माओवादी ढेर किए जा चुके हैं और भारी मात्रा में हथियार व विस्फोटक सामग्री बरामद की गई है।
21 दिनों का ऑपरेशन, भारी सफलता
ऑपरेशन ब्लैक फॉरेस्ट 21 अप्रैल से 11 मई तक चला, जिसमें कुल 21 मुठभेड़ों में सुरक्षा बलों ने 31 माओवादी मारे हैं। मारे गए नक्सलियों में 16 महिला कैडर भी शामिल हैं। मुठभेड़ों के दौरान सुरक्षाबलों ने 35 हथियार, 450 आईईडी, 818 बीजीएल शेल, 899 बंडल कार्डेक्स, सैकड़ों डेटोनेटर और भारी मात्रा में विस्फोटक सामग्री बरामद की है।
सुरक्षाबलों ने इस अभियान के तहत 216 नक्सली ठिकानों और बंकरों को ध्वस्त किया है। प्रारंभिक जांच में यह बात सामने आई है कि ये माओवादी कैडर प्रतिबंधित सीपीआई (माओवादी) संगठन की पीएलजीए बटालियन नंबर 01, तेलंगाना राज्य समिति और दंडकारण्य विशेष जोनल समिति से जुड़े थे।
गृह मंत्री विजय शर्मा का बड़ा बयान
इस अभियान के बीच छत्तीसगढ़ के गृह मंत्री विजय शर्मा ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने कहा कि उन्हें शक है कि राहुल गांधी नक्सलवाद के मसले पर “पीठ पीछे गड़बड़ी” कर रहे हैं।
गृह मंत्री ने दावा किया कि उनके पास ऐसे प्रमाण हैं, जिससे यह संदेह पुख्ता होता है कि राहुल गांधी की भूमिका नक्सल समस्या को लेकर संदिग्ध रही है। विजय शर्मा ने कहा, “नक्सलवाद देश के सबसे बड़े संकटों में से एक है, और इसके खिलाफ लड़ाई में हमें सभी का सहयोग चाहिए। लेकिन कुछ ताकतें हैं जो देशहित के बजाय राजनीति को प्राथमिकता दे रही हैं।”
तेलंगाना सरकार पर भी उठे सवाल
विजय शर्मा ने तेलंगाना सरकार के रवैये पर भी सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि कर्रेगुट्टा ऑपरेशन में अपेक्षित सहयोग नहीं मिला, जो चिंताजनक है। उन्होंने कहा कि सीमावर्ती इलाकों में चल रहे इस तरह के अभियानों में दोनों राज्यों के बीच तालमेल बेहद जरूरी है।
नक्सलवाद के खिलाफ निर्णायक जंग
कर्रेगुट्टा की पहाड़ियों को लंबे समय से माओवादियों की सुरक्षित पनाहगाह माना जाता रहा है। यहां नक्सलियों की तकनीकी इकाइयां, बम बनाने की फैक्टरी और बंकर बने हुए थे, जिन्हें अब ध्वस्त किया जा चुका है। सुरक्षा बलों का कहना है कि यह ऑपरेशन नक्सलवाद के खिलाफ एक निर्णायक कदम है और इससे माओवादियों की कमर टूट गई है।