चैत्र नवरात्र : डोंगरगढ़ की मां बम्लेश्वरी से जुड़ा है यह रोचक तथ्य, जानें मंदिर का इतिहास
रायपुर : माता की भक्ति का त्यौहार नवरात्रि का पर्व 9 अप्रैल से आरम्भ होने जा रहा है, छत्तीसगढ़ के डोंगरगढ़ में स्थित पहाड़ों में विराजी सुप्रसिद्ध मां बमलेश्वरी मंदिर में लाखों की तादाद में भक्त माँ बम्लेश्वरी के दर्शन करने पहुंचते हैं, माता बमलेश्वरी की पूजा करते हैंऔर मन्नते भी मांगते है कुछ भक्त कई किलोमीटर की पदयात्रा करते हुए मां बमलेश्वरी के दर्शन करने पहुंचते हैं|
छत्तीसगढ़ के राजनांदगांव जिले के डोंगरगढ़ स्थित मां बम्लेश्वरी का दरबार चैत्र नवरात्र में खूब सजा हुआ है। पहाड़ी, मंदिर और माता के दरबार में आकर्षक रोशनी की गई है। कोरोना के कारण पिछले दो साल तक मां के दर्शन से वंचित श्रद्धालुओं में खासा उत्साह है। इस बार वे आसानी से माता के दर्शन कर सकेंगे।
मां बम्लेश्वरी का दरबार 1600 मीटर ऊंची पहाड़ी पर है। श्रद्धालुओं को यहां तक पहुंचने के लिए 1100 सीढ़ियां चढ़नी पड़ेगी। हालांकि यहां रोपवे की भी व्यवस्था है। इसके अलावा आनलाइन दर्शन की भी सुविधा उपलब्ध करवाने की व्यवस्था की गई है। पहाड़ी पर स्थित मां बम्लेश्वरी का मुख्य मंदिर है। उन्हें बड़ी बम्लेश्वरी के रूप में जाना जाता है।
वहीं पहाड़ के नीचे भी मां बम्लेश्वरी का एक मंदिर है। यहह छोटी बम्लेश्वरी के नाम से प्रसिद्ध है। मान्यता है कि वे मां बम्लेश्वरी की छोटी बहन हैं। नवरात्र पर यहां मेला शुरू हो गया है। पूजन के साथ ही विभिन्न् प्रकार के सामानों की दुकानें सजी हुई हैं। दो साल बाद हो रहे इस मेले को लेकर दुकानदारों को अच्छा खासा कारोबार होने की उम्मीद है।
मंदिर का इतिहास
मां बम्लेश्वरी शक्तिपीठ का इतिहास करीब 2000 वर्ष पुराना है। डोंगरगढ़ का इतिहास मध्य प्रदेश के उज्जैन से जुड़ा है। इसे वैभवशाली कामाख्या नगरी के रूप में जाना जाता था। मां बम्लेश्वरी को मध्य प्रदेश के उज्जयनी के प्रतापी राजा विक्रमादित्य की कुलदेवी भी कहा जाता है। इतिहासकारों ने इस क्षेत्र को कल्चूरी काल का पाया है। मंदिर की अधिष्ठात्री देवी मां बगलामुखी हैं। उन्हें मां दुर्गा का स्वरूप माना जाता है। उन्हें यहां मां बम्लेश्वरी के रूप में पूजा जाता है।
लाखों की संख्या में हर साल पहुंचते हैं भक्त
हर साल नवरात्रि पर मां बमलेश्वरी के दर्शन करने के लिए भक्त दूर-दूर से डोंगरगढ़ पहुंचते हैं.राज्य भर से भक्त पैदल यात्रा करते हुए मां बमलेश्वरी के मंदिर भी पहुंचते हैं. भक्तों को पैदल चलने किसी तरह को कोई परेशानी न हो, इसे देखते हुए जिला प्रशासन की तरफ से एक रूट तय की गई है. प्रशासन की तरफ से रास्तों पर रोशनी और अन्य व्यवस्थाएं की गई हैं|
ऐसे पहुंचें मंदिर
जिला मुख्यालय राजनांदगांव से सड़क मार्ग से डोंगरगढ़ की दूरी 35 किलोमीटर है। इसके अलावा हावड़ा-मुंबई रेलमार्ग से भी यह जुड़ा हुआ है। यहां रेल और सड़क दोनों मार्गों से आसानी से पहुंचा जा सकता है।