CG हड़ताल बनी बाधा : 74 लाख मीट्रिक टन धान खरीदी, उठाव 22 टन का, सूखत की चिंता में समितियां ले रहीं ज्यादा

रायपुर। छत्तीसगढ़ में अब तक 74 मीट्रिक से अधिक धान की खरीदी की जा चुकी है। उठाव केवल 22 मीटरिक टन का हुआ है। करीब 52 मीट्रिक धान अभी भी समितियों में डंप है। इसकी चिंता में धान खरीदी करने वाली समितियां सूख रही हैं। मार्कफेड की नीति है कि तीन दिन में धान का उठाव कर लिया जाएगा। लेकिन एक महीने से ज्यादा होने की वजह से सूखत बढ़ रही है। इसकी वजह से समितियां अघोषित तौर पर किसानों से 40 किलो की जगह 41 या 42 किलो तक धान ले रही हैं।

उल्लेखनीय है कि, कस्टम मिलिंग नीति में मार्कफेड ने खरीदी केंद्रों में 72 घंटे में धान का उठाव का प्रावधान था। मार्कफेड एमडी रमेश शर्मा ने बताया कि मिलर्स की हड़ताल की वजह से यह संभव नहीं हो सका। मिलर्स से अनुबंध होने के बाद अब उठाव में तेजी आई है। उन्होंने बताया कि प्रतिदिन 2 लाख मीट्रिक टन धान का उठाव किया जा रहा है। सभी जिलों में डीओ और टीओ स्थिति के अनुसार काटा जा रहा है। उठाव में तेजी से समितियों में बफर स्टॉक कम हुआ।

13सौ समितियों में बफर स्टॉक

छत्तीसगढ़ में 14 नवम्बर से धान खरीदी शुरू हुई है। अब तक लगभग 74.60 लाख मीट्रिक टन धान की खरीदी हो चुकी है। किसानों से लगातार धान खरीदी की जा रही है. धान खरीदी व्यवस्था की लगातार मॉनिटरिंग भी हो रही है। धान खरीदी के साथ साथ मिलर्स ने धान का उठाव भी शुरू कर दिया है। अब तक 46.24 लाख मीट्रिक टन धान के उठाव के लिए डीओ और टीओ जारी हो चुका है। वहीं 21.58 लाख मीट्रिक टन धान का उठाव भी हो चुका है। धान खरीदी शुरू होने के बाद करीब तीन सप्ताह तक मिलर्स के साथ अनुबंध नहीं होने के कारण उठाव बाधित रहा। उठाव नहीं होने से राज्य के 2739 खरीदी केंद्रों में से 2000 समितियों में दो से तीन गुना बफर स्टॉक था। कई केंद्रों में खरीदी भी प्रभावित रही। मिलर्स से अनुबंध होने के बाद लगातार उठाव किया जा रहा है। अब केवल 1300 समितियों में बफर स्टॉक है। यहां पर भी स्थिति के अनुसार उठाव कार्य तेजी से किया जा रहा है।

सूखत पर चिंता की जरूरत नहीं

शर्मा ने कहा-ज्यादा धान न ले रहे न ले सकते , बताया जाता है कि समितियों में धान जाम होने के बाद बारदाने में 40 किलो के तौल से ज्यादा धान तौला जा रहा है। समितियों में अधिकारियों के दिशा निर्देश पर 41 किलो 42 किलो तौल हो रहा है। जानकारी लेने पर समिति को सुखत से बचाने का हवाला दिया जा रहा है। अधिकारियों ने इससे इंकार करते हुए कहा कि किसानों सामने पूरी तौलाई की जा रही है। कहीं से भी इस तरह की जानकारी नहीं आई है। धान का उठाव समय पर करने जिलों के डीएमओ को निर्देश दिए गए हैं। सूखत पर समितियों को अभी चिंता करने की जरूरत नहीं।

भरारी धान खरीदी केंद्र प्रभारी हटाए गए 

मल्हार। सेवा सहकारी समिति मल्हार के धान खरीदी केंद्र में बफर लिमिट से अधिक धान खरीदी के बाद अब पिछले 15 दिनों से टोकन कटना भी बंद हो गया है जिससे किसान चिंतित है। बताया जा रहा है कि 12 दिसम्बर से टोकन मिलने की साइट बंद है हालांकि 15 जनवरी तक टोकन कट गया है। बचे किसानों को चिंता भी सता रही है। शनिवार को कलेक्टर अवनीश शरण ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए अधिकारियों की बैठक लेकर धान खरीदी की प्रगति की समीक्षा की। उन्होंने मल्हार क्षेत्र के भरारी धान खरीदी केंद्र प्रभारी जगजीवन कुरें को हटाने के निर्देश दिए। कुर्रे  के विरुद्ध धान खरीदी में गड़बड़ी और लापरवाही के कई आरोप लगे हैं।

अलग-अलग केंद्रों में अलग-अलग तौल 

तखतपुर। क्षेत्र के कई धान खरीदी केंद्रों में तौल से अधिक धान लिए जाने का मामला सामने आ रहा है। गनियारी धान खरीदी केंद्र में किसानों ने बताया कि लगभग 1 किलो धान अधिक लिया जाता है। धान खरीदी केंद्र में यह इकलौता धान केंद्र नहीं है जहां किसानों से धान अधिक लिया जा रहा है। ग्राम चोरभट्ठी के कृषक ताजिर खान बताया कि गनियारी धान खरीदी केंद्र में अपने घर से धान तौलकर लाया है। प्रत्येक बोरे में 41 किलो 500 वजन करके धान लाया था पर यहां पर तौलाने पर 40 किलो 900 वजन आ रहा है जबकि शासन से 40 किलो धान और बोरे का 700 ग्राम धान अधिक देना है इसके बावजूद धान खरीदी केंद्रों में 40 किलो 900 लिया जा रहा है। लाखासार धान खरीदी केंद्र में 41 किलो 500, फेकू लाल मिरी ने बताया कि पदमपुर धान खरीदी केंद्र में 41 किलो 200 लिया जाता है। वहीं ग्राम अमोरा के कृषक देवी साहू ने बताया कि 41 किलो धान लिया जाता है। अलग अलग धान खरीदी केंद्रों में तय मात्रा से अधिक धान लिया जा रहा है।

सूखत के नाम पर ज्यादा धान ले रहे – वर्मा 

जिला कांग्रेस अध्यक्ष एवं किसान नेता उधो राम वर्मा कहा कि उन्होंने खुद समितियों में जाकर देखा है कि सूखत के नाम पर ज्यादा धान लिया जा रहा है। कन्हैया यादव, प्रकाश ठाकुर, भगवानी डहरिया साथ में निरीक्षण किया गया। हर जगह ज्यादा धान लेने और महंगा बारदाने की शिकायत मिली है। ऐसा उठाव न होने की वजह से हो रहा है। किसान अपना धान बेचने को लेकर चिंतित हैं। ऐसे में विरोध भी नहीं कर पा रहे हैं।

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