गरियाबंद। छत्तीसगढ़ में एक 18 साल की बच्ची का जीवन नर्क से बदतर हो गया है. न जाने कौन सा रोग बच्ची को लग गया है! इससे समय बीतने के साथ बच्ची का शरीर सूखते जा रहा है. न चल पाती है, न ही किसी जगह बैठ पाती है. जमीन में पड़ी पड़ी जीवन को काट रही है. बच्चे के परिजन सामान की तरह एक जगह से दूसरे जगह शिफ्ट करते रहते हैं. इस मंजर को देख किसी के भी आंख से आंसू आ जाएंगे.
शरीर में जान है लेकिन बॉडी पार्ट्स काम नहीं करते
दरअसल, ये कहानी छत्तीसगढ़ के गरियाबंद (Gariyaband) जिले की है. राजधानी रायपुर (Raipur) से केवल 60 किलोमीटर दूर गरियाबंद जिले के राजिम नगर पंचायत में खुशबू साहू (Khushboo sahu) का परिवार रहता है. खुशबू पिछले 10 साल से इसी तरह बीमार रहती है. ये कैसी बीमारी है इसकी जानकारी न परिजनों को है ने ही डॉक्टरों को पता चल पाया है. बस इतना कहा जाता है कि खून की कमी है. पोषण की कमी है, जिसके चलते उसको उचित न्यूट्रिशन की जरूरत है.
अज्ञात बीमारी से लड़ने के लिए परिवार सक्षम नहीं
परिजन खुशबू के इलाज कई डॉक्टरों के पास जा चुके है. हालही में रायपुर के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल मेकाहारा में भी एक महीने तक खुशबू को एडमिट किया गया था. लेकिन डॉक्टरों ने खून कमी बताकर खुशबू को घर वापस भेज दिया. खुशबू के पिता कहते है कि उसकी बीमारी( unknown disease)के बारे में कोई ठीक तरह से बता नही पाया है. परिवार की स्थिति खराब है हम इलाज करवाने के लिए सक्षम नहीं है.
खुशबू की मां ने कहा बच्चे हमारे जिंदगी है
घर के एक कोने में खाट में लेटी खुशबू जिंदगी और मौत के बीच जंग लड़ रही है. जिंदगी और मौत के बीच दूरी बनाने के लिए खुशबू की मां दिन रात खुशबू के इर्द गिर्द घूमती रहती है. एक उम्मीद लेकर खुशबू की मां कहती है कि बच्चे हमारे जिंदगी है. हॉस्पिटल(Hospital) में डॉक्टर बोलते है कि कुछ बीमारी नहीं है, केवल खून की कमी है. चल नहीं पाती है, बच्चा चल सके , इलाज हो जाए, बच्ची पढ़ लिख सके अपना भविष्य बना ले.
पिता को लकवा अटैक के बाद घर चलना भी हो गया है मुश्किल
परिवार की हालत बद से बदतर तब हो गई जब आज से 6 साल पहले पिता अनूप साहू को लकवा (paralysis)अटैक आ गया. इसके बाद से पिता भी अब बेटी की कुछ मदद नहीं कर पाते है. सरकार के सामने मदद के लिए आंसू बहा रहे है. अनूप साहू ने बताया कि मेरी बेटी 8-10 साल से जमीन में पड़ी है. इलाज की कोई व्यव्स्था नहीं है. 6 साल से मैं खुद बिस्तर में पड़ा हूं, बहुत तकलीफ में है.
घर परिवार चलाना बहुत मुश्किल हो रहा है. सरकारी चावल मिलता है, एक दिन खाते है एक दिन भूखे रहना पड़ता है. पूरे परिवार में 8 लोग है. इसमें 6 बच्चे और माता पिता है. कोई मदद नहीं करते है. पार्षद को बोलने पर 60 साल के बाद पेंशन मिलेगा बोलते है. मेकाहारा लेकर गए थे, लेकिन डिस्चार्ज कर वापस भेज दिया गया.
इलाज के लिए स्वास्थ्य विभाग करेगा मदद
इस मामले की जानकारी स्वास्थ्य विभाग (helath department) को भी है. स्वास्थ्य विभाग की टीम हालही में खुशबू के इलाज के लिए उनके घर पहुंची थी. खुशबू की हालत देखते हुए परिवार के इलाज और हॉस्पिटल आने जाने के साथ दवाई की पूरी जिम्मेदारी उठाने की बात कह रहे है. गरियाबंद के मुख्य चिकित्सा एवं स्वाथ्य अधिकारी डॉ. के. सी. उराव ने कहा कि स्वास्थ्य विभाग हर प्रकार से मदद करेगी. इलाज के लिए निशुल्क दवाइयां देंगे.उनके पास साधन नहीं है और न ही कोई देख रेख करने वाला है. इस लिए उनके आने जाने की व्यवस्था भी हम करेंगे. इसके लिए क्षेत्र के हेल्थ विभाग की टीम को निर्देश दिया गया है.