Bilaspur News: फर्जी ट्रांसफर आदेश लेकर ज्वाइन करने पहुंची दो शिक्षिकाएं, खुलासा हुआ तो मांगा 10 दिन का समय, FIR दर्ज

Bilaspur News, बिलासपुर। बिलासपुर जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय में दो शिक्षिकाएं तबादला आदेश लेकर पहुंची। जिला शिक्षा अधिकारी के द्वारा परीक्षण में शिक्षा विभाग द्वारा जारी आदेश फर्जी निकला। जिस पर शिक्षिकाओं को जॉइनिंग नहीं दी गई। इसके अलावा रायपुर के राखी थाने में एफआईआर भी दर्ज करवाई गई है। हाई कोर्ट के आदेश पर शिक्षिकाओं को पुराने स्कूल में ज्वाइन करने दस दिनों का समय दिया गया है।

पूरा मामला जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय बिलासपुर का है। जांजगीर-चांपा जिले में पदस्थ शिक्षिका ज्योति दुबे और सूरजपुर में पदस्थ शिक्षिका श्रुति साहू कुछ दिनों पहले बिलासपुर जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय पहुंची। यहां उन्होंने स्कूल शिक्षा विभाग से तबादला होकर जॉइनिंग के लिए आना बताया और आदेश भी दिखाया। आदेश शनिवार छुट्टी के दिन जारी किया गया था। इसलिए आदेश को लेकर शंका हुई और डीईओ अनिल तिवारी ने आदेश का पता करने मंत्रालय में फोन किया। तब वहां से जानकारी मिली थी आदेश फर्जी है।

Bilaspur News,  आदेश शिक्षा विभाग के अवर सचिव आरपी वर्मा के फर्जी हस्ताक्षर से जारी किया गया था। इसमें अलग-अलग जिलों में शिक्षकों के ट्रांसफर करने का आदेश जारी किया गया था। आदेश को हूबहू सरकारी आदेश की तर्ज पर बनाया गया था। आदेश की कॉपी ने क्रमांक एफ3–27/2025/20 दर्ज है। इसके साथ ही आगामी आदेश तक पदस्थ करने का उल्लेख किया गया है। आदेश का आधार प्रशासनिक बताया गया। अवर सचिव आरपी वर्मा ने इसकी शिकायत रायपुर के राखी थाने में की है। जिसमें पुलिस अज्ञात आरोपियों के खिलाफ अपराध दर्ज कर मामले की जांच कर रही है।

मामला सामने आने के बाद जिला शिक्षा अधिकारी ने आदेश को निरस्त करते हुए उन्हें रिलीव कर दिया और पुराने कार्यस्थल पर ज्वाइन करने के निर्देश दिए है। जिसके खिलाफ दोनों शिक्षिकाओं ने हाईकोर्ट में अपील की।

Bilaspur News,  मामले की सुनवाई जस्टिस राधाकिशन अग्रवाल की सिंगल बेंच में हुई। सरकार के अधिवक्ता ने बताया कि दोनों स्थानांतरण आदेश फर्जी पाया गया, जिस आधार पर स्थानांतरण आदेश रद्द कर उन्हें रिलीव किया गया है।

आदेश फर्जी होने के आधार पर रद्द होने की जानकारी मिलने पर दोनों शिक्षिकाओं के वकील ने पूर्व स्थान पर ज्वाइन करने के लिए 10 दिनों के समय की मांग की। जिस पर राज्य सरकार के अधिवक्ता द्वारा कोई आपत्ति नहीं जताने पर जस्टिस राधाकिशन अग्रवाल की सिंगल बेंच ने दस दिनों का समय प्रदान कर दिया।

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