रायपुर। कालेजों में नए शिक्षा सत्र से बड़ा बदलाव होने जा रहा है। एक तरफ प्राध्यापक, सहायक प्राध्यापकों की नियमित भर्ती होने से पहले उच्च शिक्षा विभाग ने अतिथि व्याख्याता नीति लागू कर दी है और दूसरी ओर कालेजों का सिलेबस भी बदलने जा रहा है। उच्च शिक्षा विभाग ने राष्ट्रीय शिक्षा की नीति के अनुसार इसी वर्ष से प्रथम वर्ष का सिलेबस बदलने के लिए तैयारी कर ली है। सिलेबस को अंतिम रूपरेखा देने के लिए राज्यपाल को अनुमोदन के लिए भेजा गया है। वहीं जब तक कालेजों में नियमित भर्ती नहीं हो जाती है तब तक अतिथि व्याख्याता ही पढ़ाएंगे।
नई अतिथि व्याख्याता नीति के अनुसार कालेजों प्रति कालखंड 40 से 45 मिनट पढ़ाने पर अतिथि व्याख्याताओं को 400 रुपये और सहायक अतिथि व्याख्याताओं को 300 रुपये मिलेंगे। यदि कोई अतिथि व्याख्याता एक दिन में चार कालखंड पढ़ाते हैं तो उन्हें प्रतिदिन 1600 रुपये मिलेंगे। महीने में अधिकतम 50 हजार रुपये सैलरी उठा सकेंगे। इसी तरह सहायक अतिथि व्याख्याता भी 35,000 रुपये प्रति महीने कमा सकेंगे। खेल अधिकारी और ग्रंथपाल का वेतन 40,000 रुपये होगा।
अभी इतने पद खाली हैं कालेजों में
शासकीय कालेजों में प्रोफेसर के 595 पद खाली हैं। वहीं सहायक प्राध्यापक के 5315 पद हैं। इनमें से 3,146 पद स्वीकृत हैं और 2,169 पद रिक्त है। इसी तरह प्राचार्य के 335 पद स्वीकृत है, इनमें आधे से अधिक पदों पर प्रभारी हैं। राज्य में 21 जुलाई को राज्य पात्रता परीक्षा होने जा रही है। इसके बाद कालेजों के नियमित पदों पर भर्ती हो सकती है।
अतिथि व्याख्याताओं को मिलेंगे कई अधिकार
यूजीसी मानदंडों को पूरा करने वाले अतिथि व्याख्याताओं को हर साल रिक्त के रूप में विचार करने और विज्ञापन देने की आवश्यकता नहीं होगी, उन्हें नौकरी में निरंतर रखा जा सकेगा। किसी कालेज में नियमित प्राध्यापक की पदस्थापना के कारण विश्वविद्यालय अनुदान आयाेग के मानदंड पूरा करने वाले अतिथि व्याख्याता को हटाना पड़ता है, तो वह स्थापना के लिए पात्र होगा।
अतिथि व्याख्याताओं को अधिकतम 11 महीने तक रखा जा सकेगा। कालेजों में प्राचार्य द्वारा सौंपे गए कामों को करना होगा, उन्हें आंतरिक और बाहरी परीक्षक के रूप में भी इस्तेमाल किया जा सकेगा। अतिथि व्याख्याताओं को पीएचडी और मातृत्व अवकाश के लिए 180 दिनों की छुट्टी का अधिकार होगा।उच्च शिक्षा विभाग के सचिव प्रसन्ना आर ने कहा, कालेजों में अतिथि व्याख्याताओं के लिए नई नीति लागू हो गई है। इसके अलावा इस वर्ष प्रथम वर्ष के सिलेबस में भी राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अनुसार बदलाव किया जा रहा है।