चीन की वजह से धरती के नक्‍शे से सदा के लिए मिट जाएगा मालदीव! मुइज्जू भी नहीं बचा पाएंगे, जानें वजह

माले: पीएम मोदी के लक्षद्वीप दौरे के बाद भारत और पड़ोसी देश मालदीव के बीच राजनयिक तनाव अपने चरम पर है। मालदीव के 3 मंत्रियों के पीएम मोदी के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्‍पणी के बाद भारतीयों ने सोशल मीडिया पर बॉयकाट मालदीव अभियान छेड़ दिया है। वहीं मालदीव के कट्टरपंथी अपने द्वीपों की सुंदरता के तारीफों के पुल बांध रहे हैं। मालदीव के कई लोग सोशल मीडिया पर लक्षद्वीप से मालदीव की तुलना करके उपहास उड़ा रहे हैं। इन सबके बीच व‍िशेषज्ञों का मानना है कि जिन द्वीपों के ऊपर मालदीव के लोग इतरा रहे हैं, वे बढ़ते समुद्री जलस्‍तर की वजह से अगले 60 साल में डूब सकते हैं। जी हां, संयुक्‍त राष्‍ट्र ने चेतावनी दी है कि साल 2100 तक मालदीव अपना ज्‍यादातर जमीनी इलाका खो देगा।

यही वजह है कि मालदीव के नेता मोहम्‍मद नशीद ने राष्‍ट्रपति रहने के दौरान दुनिया का ध्‍यान अपनी ओर खींचने के लिए समुद्र के नीचे पानी में अपनी कैबिनेट की बैठक आयोजित की थी। वह ऐसा करने वाले दुनिया के पहले राष्‍ट्राध्‍यक्ष थे। दरअसल, संयुक्‍त राष्‍ट्र पर्यावरण आयोग ने एक अनुमान लगाया है कि जलवायु परिवर्तन की वजह से पैदा हुए खतरे ने मालदीव को संकट में डाल दिया है। अनुमान है कि मालदीव के द्वीपों के आसपास अरब सागर में 0.5-0.8 मीटर तक पानी का स्‍तर बढ़ जाएगा। इससे साल 2100 तक मालदीव का ज्‍यादातर जमीनी इलाका समुद्र में डूब जाएगा।

मालदीव के 80 फीसदी द्वीपों पर खतरा

अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा की रिपोर्ट के मुताबिक मालदीव के 1190 कोरल द्वीप समूह हैं। इनमें से 80 प्रतिशत द्वीप समुद्री के जलस्‍तर से 1 मीटर से भी कम की ऊंचाई पर हैं। दुनिया में मालदीव के पास सबसे निचली धरती है। इससे हिंद महासागर का यह द्वीप समूह हमेशा ही बढ़ते समुद्री जलस्‍तर के खतरे में रहा है। दुनिया में हर साल वैश्विक समुद्री जलस्‍तर 3 से 4 मिलीमीटर की दर से बढ़ रहा है। यह आने वाले दशकों में और तेज होने जा रहा है। एक शोध में यहां तक दिया गया है कि साल 2050 तक मालदीव के निचले लेवल वाले द्वीप रहने लायक नहीं रह जाएंगे। इसकी वजह यह है कि उस समय विशाल लहरों की वजह से बाढ़ का आना सामान्‍य बात हो जाएगी। इससे मालदीव में ताजा पानी जो पीने लायक होता है, वह बहुत कम रह जाएगा।

आईपीसीसी की रिपोर्ट के मुताबिक अगर ग्रीन हाउस गैसों को तेजी से कम किया गया तो भी साल 2100 तक समुद्र का जलस्‍तर आधा मीटर बढ़ा जाएगा। यही नहीं अगर ग्रीन हाउस गैसों का उत्‍सर्जन यूं ही तेजी से जारी रहा तो यह जलस्‍तर 1 मीटर तक बढ़ जाएगा। ग्रीन हाउस गैसों की बात करें तो इनका सबसे बड़ा उत्‍पादक चीन है। चीन ने साल 2019 में 10,065 मिल‍ियन टन कार्बन डॉई ऑक्‍साइड छोड़ा था। इसके बाद अमेरिका दूसरे और भारत का तीसरे नंबर पर है। भारत का उत्‍सर्जन 2,654 मिल‍ियन टन सीओ2 है जो चीन के मुकाबले बहुत कम है। इस तरह मालदीव के राष्‍ट्रपति मोहम्‍मद मुइज्‍जू जिस चीन को गले लगा रहे हैं, वह उनके देश के अस्तित्‍व के लिए ही बड़ा खतरा बन गया है।

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