गले की फांस बना बांग्लादेशी विमान : दस साल में पार्किंग किराया करोड़ो में, विमान बना जंगली कबूतरों का ठिकाना

रायपुर। यात्रियों की जान बचाने के लिए स्वामी विवेकानंद एयरपोर्ट पर आपात लैंडिंग करने वाला बांग्लादेश की विमानन कंपनी का एयरक्राफ्ट विमानन विभाग के लिए गले की फांस बना हुआ है। नीतिगत मामला होने की वजह से उसकी वापसी अथवा नीलामी पर अब तक फैसला नहीं हो पाया है। विमानतल पर इसका पार्किंग चार्ज 10 करोड़ से अधिक हो चुका है। एयरक्राफ्ट के कबाड़ में तब्दील होने की वजह से जंगली कबूतरों तथा अन्य पक्षियों ने वहां डेरा जमा लिया है
ढाका से मस्कट जा रहे यात्रियों से भरे इस विमान की 7 अगस्त 2015 को रायपुर में आपात लैंडिंग हुई थी। यानी उसे स्थानीय एयरपोर्ट में खड़े-खड़े 10 साल बीत चुके हैं। पहले विमान की वापसी फिर पार्किंग शुल्क की भरपाई के लिए विमानन विभाग द्वारा सौ से अधिक बार बांग्लादेश की एयरपोर्ट अथारिटी के साथ संबंधित एयरवेज कंपनी को ई-मेल और पत्र भेजा चुका है, मगर इस पर अब तक किसी तरह का अंतिम फैसला नहीं आया है। विमान को ऑपरेशन एरिया से काफी दूर खड़ा कर दिया एरिया से काफी टूर खड़ा कर दिया गया है, जहां विभिन्न पक्षियों ने उसे अपना बसेरा बना लिया है।
सूत्रों का कहना है कि, देखरेख के अभाव में एयरक्राफ्ट पूरी तरह कबाड़ हो चुका है। उपयोग नहीं होने की वजह से इंजन काम के लायक नहीं रह गया है और टायर भी खराब हो चुके हैं। सालों से किसी तरह की गतिविधि नहीं होने के कारण अब इसके उड़ान की संभावना भी ना के बराबर हो चुकी है। सूत्रों का कहना है कि विमान की पार्किंग का शुल्क जो अब दस करोड़ से अधिक हो. चुका है, उसकी वसूली का एकमात्र रास्ता विमान की नीलामी है, मगर दो देशों का नीतिगत मामला होने की वजह से केंद्रीय विमानन विभाग भी इस पर कोई अंतिम निर्णय नहीं कर पाया है।
2 से 3 सौ करोड़ का एयरक्राफ्ट अब कबाड़
सूत्रों के अनुसार बांग्लादेश की यूनाइटेड एयरवेज की मैक डॉनल डगलस (एमडी 83) की कीमत करीब 2 से 3 सौ करोड़ है। विमानन कंपनी द्वारा वापसी के लिए किसी तरह की पहल नहीं किए जाने की वजह से यह खड़े- खड़े कबाड़ हो गया। 7 अगस्त को 173 यात्रियों के साथ सफर के दौरान विमान के इंजन और पंखों में खराबी आने की वजह से उसकी रायपुर एयरपोर्ट पर आपात लैडिंग कराई गई थी। यात्री तो दूसरी फ्लाइट से अपने गंतव्य के लिए रवाना हो गए, मगर यह एयरक्राफ्ट रायपुर में खड़ा रह गया। वर्ष 2019 में इसे रनवे से दूर कर दिया गया और तब से वह वहीं खड़ा होकर अपने अंतिम फैसले का इंतजार कर रहा है।
वापसी का नियम नहीं बना
सूत्रों का कहना है इस फ्लाइट की वापसी संभव ही नहीं है। आमतौर पर आपात लैंडिंग करने वाली फ्लाइट अधिकतम तीन माह के लिए किसी एयरपोर्ट पर सशुल्क खड़ा हो सकती है। सालभर तक उसे स्टैण्ड रहने और पुनः वापसी के लिए अब तक नियम नहीं बना है। चूंकि मामला दो देशों के बीच का है, इसलिए इस एयरक्राफ्ट के मामले में एक पक्षीय फैसला भी नहीं लिया जा सकता। केंद्रीय स्तर पर इस फ्लाइट के मामले में फैसला लेने की प्रक्रिया पूरी की जा रही है। कुछ समय पहले इसकी नीलामी की सहमति मिलने की बात सामने आई थी, मगर बात प्रस्ताव से आगे नहीं बढ़ पाई थी।