खत्म हुआ ‘लाल आतंक’ का एक और अध्याय, 50 लाख के इनामी समेत 27 नक्सलियों ने किया सरेंडर

सुकमा : छत्तीसगढ़ के बस्तर मे अंदरूनी इलाकों में बढ़ते पुलिस कैम्प, शासन की नई पुनर्वास नीति और ‘नियद नेल्लानार’ योजना का असर अब मैदान में साफ दिखने लगा है. जिले के इतिहास में बड़ा मोड़ तब आया, जब बुधवार को 50 लाख रुपए के कुल ईनामी सहित 27 सक्रिय माओवादियों ने मानवता की राह पकड़ी और आत्मसमर्पण कर दिया.
इनमें पीएलजीए बटालियन नंबर 01 के दो कुख्यात हार्डकोर माओवादी भी शामिल हैं. सरेंडर करने वालों में कुल 10 महिलाएं और 17 पुरुष हैं, जिन्होंने वर्षों तक जंगलों में हिंसा को अपना रास्ता बनाया था.
सुकमा पुलिस अधीक्षक किरणचव्हाण की अगुवाई में यह आत्मसमर्पण एसपी ऑफिस, सुकमा में हुआ. इस मौके मौके पर डीआईजी सुरेश सिंह पायल, कोबरा 203 के गौरव कुमार, सीआरपीएफ 131 के अमितलप्रकाश, सीआरपीएफ217 के वीरेंद्र कुमार, एएसपी रोहित शाह और अभिषेक वर्मा जैसे अफसर मौजूद रहे. माओवादियों ने खुलकर बताया कि सुरक्षा बलों की लगातार मौजूदगी, गांवों तक पहुंचते पुलिस कैम्प और शासन की नई नीति ने उन्हें सोचने पर मजबूर किया. ऊपर बैठे बाहरी माओवादी नेताओं का भेदभाव और स्थानीय आदिवासियों के साथ हो रही हिंसा” – यही वजह बनी लौट आने की.
एसपी किरण चव्हाण ने बताया कि आत्मसमर्पण करने वाले माओवादी खोखली और अमानवीय विचारधारा से निराश थे. बाहरी माओवादी नेताओं द्वारा स्थानीय आदिवासियों पर किये जा रहे शोषण और अत्याचारों से तंग आकर उन्होंने मुख्यधारा में लौटने का फैसला किया. शासन की नयी पुनर्वास नीति और विकास योजनाओं का असर स्पष्ट दिखने लगा है.
अब माओवादी हिंसा छोड़कर समाज में शांति और सम्मान के साथ जीने की राह चुन रहे हैं. एसपी का यह संदेश पुलिस के बढ़ते प्रभाव, योजनाओं की सफलता और माओवादियों में सकारात्मक परिवर्तन को दर्शाता है. उन्होंने कहा कि अब नक्सलवादियों के लिए समाज की मुख्यधारा के द्वार पूरी तरह खुले हैं, पुनर्वास और सम्मानजनक जीवन के लिए सरकार तैयार है.