आचार्य चाणक्य के अनुसार इन 5 लोगों को कभी न बताएं अपना दुख, बढ़ सकती हैं आपकी परेशानियां
आमतौर पर कहा जाता है कि दुख बांटने से कम होता है और सुख बांटने से बढ़ता है लेकिन आचार्य चाणक्य के अनुसार जीवन के कुछ दुख ऐसे होते हैं, जो किसी को नहीं बताने चाहिए। आप अगर कुछ व्यक्तियों को जीवन के दुख या समस्याएं बताते हैं, तो आपकी परेशानियां और भी बढ़ने लगती है और एक के बाद एक ऐसी घटनाएं होती चली जाती है, जिसके आपका तनाव बढ़ता चला जाता है। आइए, जानते हैं आचार्य चाणक्य ने किन लोगों के साथ अपने दुख को बांटने के लिए सही नहीं माना है।
सभी के मित्र बनने वाले लोग
एक कहावत है कि जो व्यक्ति सबका दोस्त होता है, वो असल में किसी का दोस्त नहीं होता। ऐसा इसलिए कहा जाता है कि ऐसे लोग दोस्ती रखने के लिए किसी भी व्यक्ति की हर गलत और सही बात दोनों का समर्थन करते हैं। उन्हें इस बात से फर्क नहीं पड़ता कि कोई सही है या गलत, उन्हें बस सभी के साथ दोस्ती बनाकर रखनी होती है, इसलिए ऐसे लोगों पर बिल्कुल भी भरोसा नहीं किया जा सकता है। ऐसे लोग आपके दुख या राज दूसरे लोगों को भी बता सकते हैं। इस कारण से ऐसी बनावटी मित्रता करने वाले लोगों से अपने मन की बातें कभी भी शेयर न करें।
हर बात को मजाक में लेने वाले लोग
हर पल को खुशी-खुशी जीना जीवन को आसान बना देता है लेकिन हर बात को मजाक में लेने वाले लोगों से आपको बचना चाहिए। हर बात को मजाक में लेने वाले लोग आपकी समस्या बढ़ा सकते हैं। आप अगर भावुक होकर अपनी बातें ऐसे मखौल उड़ाने वाले व्यक्ति से शेयर कर देते हैं, तो ऐसे लोग आपके दुख दूसरे लोगों को बताकर इसका मजाक उड़ा सकते हैं। जब आपको यह बात पता चलेगी, तो आपको इस बात से बहुत दुख पहुंचेगा और इस वजह से व्यक्ति से जानने की कोशिश करेंगे, इससे आपकी बहस हो सकती है और तनाव बढ़ने लगेगा।
जिन लोगों को सिर्फ खुद से मतलब होता है
मतलबी या स्वार्थी लोगों को अपने अलावा किसी और के दुखों से कोई फर्क नहीं पड़ता। वे अपना जीवन शान से जीना पसंद करते हैं। वे हर बात में अपना ही फायदा देखते हैं। कई बार इस प्रवृत्ति के चलते ऐसे लोग दूसरों का नुकसान करने से भी परहेज नहीं करते। समय आने पर ऐसे लोग अपने फायदे के लिए आपकी बताई बातों का फायदा भी उठा सकते हैं। इस कारण से आपको मतलबी लोगों को अपने दुख कभी नहीं बताने चाहिए क्योंकि ऐसे लोगों में दुखों को समझ पाने की क्षमता नहीं होती है।
आपसे जलन रखने या चिढ़ने वाले लोग
कुछ लोग ऐसे होते हैं, जो हमेशा असुरक्षा की भावना से घिरे रहते हैं। अपनी असुरक्षा की भावना के कारण वे आपसे चिढ़ते रहते हैं। ऐसे लोग आपके सामने अपनी जलन या चिढ़ को छुपाए रहते हैं लेकिन अंदर ही अंदर आपके साथ कुछ बुरा होने की कामना करते हैं। कई बार लोगों को लगता है कि अगर वे अपना दुख ऐसे लोगों को बता देंगे, तो शायद ऐसे लोगों का व्यवहार उनके प्रति थोड़ा बदल जाएगा और उनके अंदर की बेवजह की कड़वाहट कम होगी लेकिन ऐसा नहीं होता। आप अगर ऐसे लोगों को अपना दुख बताते हैं, तो वे आपके दुख में अपनी खुशी ढूंढ़ने लगते हैं और आपके दुखों का नकारात्मक तरीकों से प्रचार-प्रसार करने में लग जाते हैं।
जो लोग बहुत बातें करते हैं और बिना सोचे-समझें बोलते हैं
आपने अपने आसपास ऐसे लोगों को देखा होगा, जो बहुत ही बातूनी होते हैं। उन्हें बातें करते रहने या फिर यूं कहिए कि हमेशा बोलते रहने की इतनी आदत पड़ जाती है कि बातें न होने की सूरत में वे पुरानी बातों को किसी के सामने तोड़-मरोड़कर पेश करते हैं। वे किसी एक व्यक्ति की कही गई सामान्य-सी बात को भी तोड़-मरोड़ पेश कर देते हैं। इनमें ज्यादातर बातें झूठ ही होती है। ऐसे लोगों को विश्वासपात्र नहीं माना जा सकता है। आचार्य चाणक्य के अनुसार आपको ऐसे लोगों को अपने जीवन के कोई भी दुख या परेशानी नहीं बताने चाहिए।