CG : जमानती अपराध में जमानत खारिज करने के आदेश के खिलाफ हाईकोर्ट का अहम फैसला; देने होंगे 25 हजार रुपये

बिलासपुर : मजिस्ट्रेट द्वारा जमानती अपराध में महिला की जमानत खारिज करने के आदेश के खिलाफ हाईकोर्ट ने क्षतिपूर्ति देने का आदेश दिया है। चीफ जस्टिस की डिवीजन बेंच ने मामले की सुनवाई की और संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत मूल अधिकारों का हनन मानते हुए मजिस्ट्रेट के उक्त आदेश को गलत ठहराया और महिला को 30 दिन के भीतर 25000 रुपये की क्षतिपूर्ति देने का आदेश दिया।

जांजगीर जिले के नवागढ़ निवासी 73 वर्षीय महिला के खिलाफ शिवरीनारायण आबकारी इंस्पेक्टर के द्वारा तीन लीटर देशी शराब के मामले में जमानती अपराध का मामला दर्ज किया गया था। 16 सितंबर, 2021 को दर्ज किए गए इस मामले में उसे बेल बॉन्ड भरवाकर थाने से ही जमानत दे दी गई थी। जिसके बाद 14 मार्च, 2021 को आबकारी पुलिस ने उक्त महिला को बिना सूचना दिए जांजगीर न्यायालय में चालान प्रस्तुत कर दिया।

महिला की उपस्थिति के लिए न्यायालय ने गिरफ्तारी वारंट जारी कर दिया था, जिसकी तामिली और सूचना भी महिला को कभी नहीं हुई। इसके बाद महिला को 10 मई, 2023 को उसके अधिवक्ता के माध्यम से जानकारी हुई कि न्यायालय से उसके खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी हो गया है, जिसकी सूचना पर उसने 07 दिसंबर, 2023 को न्यायालय के समक्ष आत्मसमर्पण कर वारंट निरस्त करने का आवेदन प्रस्तुत किया, लेकिन मजिस्ट्रेट ने उसे जेल भेज दिया। जिसके सात दिन बाद सत्र न्यायालय से उसकी जमानत हुई।

उक्त मजिस्ट्रेट के आदेश एवं अवैध गिरफ्तारी के आदेश के खिलाफ उसने हाईकोर्ट के अधिवक्ता गौरव सिंघल के माध्यम से उच्च न्यायालय में याचिका प्रस्तुत कर उचित कार्रवाई और क्षतिपूर्ति की मांग की। जिस पर चीफ जस्टिस की डिवीजन बेंच ने सुनवाई की और संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत मूल अधिकारों का हनन मानते हुए मजिस्ट्रेट के उक्त आदेश को गलत ठहराया और महिला को 30 दिन के भीतर 25000 रुपये की राशि क्षतिपूर्ति के रूप में देने का आदेश दिया है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button

This will close in 20 seconds